जब मन बोले “सब कुछ ठीक है” और दिमाग बोले “Alert! You’re screwed!”

कभी-कभी आपको ऐसा लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन क्या? न दिल की सुनाई देती है, न दिमाग की। आप नॉर्मल दिखते हो, पर अंदर एक ऐसा तूफान चल रहा होता है जो बाहर से कोई देख नहीं पाता। वेलकम टू द क्लब – एंग्जाइटी क्लब, जहां मेंबरशिप मिलती है बिना पूछे, और आपको पता भी नहीं चलता कि आप कब इसका हिस्सा बन गए। एंग्जाइटी के लक्षण – जब दिमाग बने वर्ल्ड वार जोन अगर आप इनमें से कोई भी चीज़ें बार-बार फील कर रहे हैं, तो…

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चार‑दिन वर्क वीक: सेहत, संतुष्टि और प्रोडक्टिविटी में क्रांति

नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित एक ताज़ा अध्ययन बताता है कि कामकाजी सप्ताह को चार दिन पर लाने से न सिर्फ़ कर्मचारियों की सेहत सुधरी, बल्कि उनकी ख़ुशी और संतुष्टि भी बढ़ी।यह ट्रायल अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड और न्यूज़ीलैंड की 141 कंपनियों पर किया गया — यानी सिर्फ़ एक ऑफिस में नहीं, दुनिया के हर कोने में इसका असर देखा गया। सेहत और संतुष्टि: काम कम, जीवन ज़्यादा बर्नआउट (तनाव‑टूटना), नौकरी से संतुष्टि, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार देखा गया। ख़ास बात: कंपनियों ने उत्पादन (प्रोडक्टिविटी) और…

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कलेक्टर नहीं बने, तो क्या ज़िंदा रहना भी ज़रूरी नहीं?” —नंबरों की राजनीति

आप कौन-से कलेक्टर बन गए?” – ये लाइन साधारण नहीं, समाज की सड़ी हुई सोच का आईना है। महाराष्ट्र के सांगली ज़िले में जब 12वीं की छात्रा साधना भोसले ने अपने पिता को उनके अधूरे सपनों की याद दिलाई, तो जवाब में उन्हें तर्क नहीं मिला, बल्कि थप्पड़ और घातक हिंसा मिली।बेटी की मौत के बाद जो रह गया, वो था: मेडिकल की तैयारी, अधूरे सपने, और समाज की ‘डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बने तो फ़ेल हो’ वाली मानसिकता। ईरान-इसराइल युद्धविराम पर क़तर की चाय गरम, शांति का गर्मागर्म स्वागत!…

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एक्स इज़ बैक… इन योर फैंटेसी- सिंगल हैं? एक्स की यादों से लें बूस्टर डोज़

हालिया सर्वे के मुताबिक 76% पुरुष और 59% महिलाएं आत्मरति करते वक्त अपने “एक्स” को याद करते हैं। जी हाँ, वो जो कभी ‘ब्लॉक’ कर चुके थे, अब दिमाग़ के प्राइवेट थिएटर में सुपरस्टार बन चुके हैं। बीजेपी से संघ ने कहा —‘या तो लाइन पर आओ, वरना लाइन बदल दी जाएगी! तो यादें हैं ‘बूस्टर’ डॉ. क्रिस्टी के अनुसार, अकेलेपन में पुरानी यादों का उपयोग करना गलत नहीं, बल्कि एक तरह का “इमोशनल पुनर्वास” है। ये यादें न सिर्फ आपको राहत देती हैं बल्कि खुद को बेहतर समझने में…

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क्रोध, चिंता और झल्लाहट को करो आउट! जानिए क्या है इमोशनल डिटॉक्स

आज के ज़माने में जिंदगी इतनी तेज़ है कि हम अक्सर अपनी भावनाओं की सफाई करना भूल जाते हैं। सोचिए, शरीर तो साफ़-सुथरा रखो, लेकिन मन की गंदगी का क्या? इमोशनल डिटॉक्स यानी भावनात्मक विषहरण आपकी भावनाओं को ऐसे साफ़ करता है जैसे मांझा लगा हो कोई पुरानी जूतों की जोड़ी! पढ़ाई के सपने थे बड़े, पत्नी ने पति को दिया धोखा बड़ा इमोशनल डिटॉक्स क्या है? शरीर का डिटॉक्स तो सुना होगा, पर मन का भी डिटॉक्स होता है। यह प्रक्रिया आपकी नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, चिंता, जलन और…

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पति: जब साथ रहते हुए भी अकेला महसूस होता है – जानिए क्या करें?

शादी एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें दो लोग मिलकर Netflix की सब्सक्रिप्शन शेयर करते हैं… और कभी-कभी भावनाएं भी। लेकिन क्या करें जब पति सिर्फ रिमोट पकड़ कर बैठे हों और भावनाओं का नेटवर्क ‘No Signal’ दिखा रहा हो? यार बने यमराज: ईरान-इज़राइल का इश्क़ ए जंग! 1. जब पति हर वक्त फोन में रहें, तो समझ जाइए दिल ऑफ़लाइन है अगर आपके “हस्बैंड डियर” दिन-रात फोन में लगे रहते हैं – चाहे वो रील्स हों या क्रिकेट स्कोर – और आपकी बातें सुनने पर उन्हें लगे जैसे किसी…

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“टेंशन लोगे तो शुगर देगा झटका!” तनाव और डायबिटीज़ का कड़वा रिश्ता

अगर आपकी दवाएं और डाइट सब सही चल रही है फिर भी ब्लड शुगर अस्थिर है, तो ज़रा सोचिए — कहीं इसके पीछे तनाव तो नहीं? स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव (Stress) और मधुमेह (Diabetes) के बीच एक चुपचाप लेकिन खतरनाक रिश्ता है, जिसे अनदेखा करना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। डिप्टी स्पीकर की कुर्सी खाली क्यों? खड़गे ने मोदी को घेरा “स्ट्रेस” यानी शुगर को इनविटेशन? जब आप तनाव में होते हैं, तो शरीर फाइट या फ्लाइट मोड में चला जाता है। इस दौरान दो हार्मोन…

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हे कृष्ण ! टॉक्सिक रिश्ते में कैद आत्मा की पुकार-कैसे मिले मुक्ति?

कभी-कभी वो इंसान जिससे हम सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, वही हमारी आत्मा को सबसे ज़्यादा चोट पहुंचाता है। जब रिश्ता गले का फंदा बन जाए, और सांस लेना भी भारी लगने लगे, तब उस बंधन से मोक्ष (मुक्ति) ही एकमात्र रास्ता होता है। इजरायल की ‘किलिंग मशीन’ की गुप्त दुनिया और ऑपरेशन्स की गाथा लेकिन सवाल है — कैसे? संकेत: निरंतर अपमान या तिरस्कार इमोशनल ब्लैकमेल और कंट्रोलिंग बिहेवियर आपकी भावनाओं और आत्म-सम्मान की अनदेखी लगातार थकान, चिंता या डिप्रेशन अकेलापन, यहां तक कि भीड़ में भी अगर इनमें…

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बढ़ते कोविड मामलों के बीच लापरवाही हो सकती है जानलेवा

भारत में एक बार फिर कोरोना वायरस धीरे-धीरे पांव पसार रहा है। देश के कई हिस्सों से कोविड-19 मामलों में बढ़ोत्तरी की खबरें आ रही हैं। बीते कुछ हफ्तों में पॉजिटिव केसों की संख्या स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रशासन की चिंता बढ़ा रही है। अब जब आम लोग मास्क पहनने, भीड़ से बचने और हाथ धोने जैसे एहतियातों को नजरअंदाज़ कर रहे हैं, ऐसे में छोटी सी चूक बड़े खतरे का कारण बन सकती है। क्या हो सकते हैं लापरवाही के परिणाम? स्कूल, ऑफिस और जिम दोबारा बंद होने की नौबत…

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सुप्रीम सवाल — “कोटा में ही क्यों कर रहे हैं बच्चे आत्महत्या?”

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा नगरी कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं के मामले पर सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि आख़िर इतनी अधिक आत्महत्याएं सिर्फ कोटा में ही क्यों हो रही हैं? क्या राज्य सरकार ने इस पर गंभीरता से कोई विचार किया? इस्लाम को लेकर फैले 10 बड़े मिथक और उनकी सच्चाई — जानिए क्या है हकीकत? दो मामलों पर सुनवाई, एक सवाल: बच्चों की ज़िंदगी का क्या? जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने दो याचिकाओं पर…

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