“मैं रहूं या न रहूं, आप रहिए महाराज!” – आरिफ की चिट्ठी ने दिल जीता

मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम ज़िले में इटारसी के रहने वाले आरिफ खान चिश्ती ने इंसानियत और धार्मिक सौहार्द की मिसाल पेश की है। उन्होंने वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज को अपनी एक किडनी दान करने की पेशकश की है। आरिफ ने बाकायदा एक भावुक चिट्ठी लिखी और संत के आधिकारिक ईमेल व वॉट्सऐप नंबर पर भेजी। “आपके आचरण और व्यवहार से मैं बहुत प्रभावित हूं” आरिफ ने अपनी चिट्ठी में लिखा: “आपके वीडियो देखकर आपके व्यक्तित्व से जुड़ाव हो गया है। आप सिर्फ एक संत नहीं हैं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का…

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धूल का फूल: “तू हिंदू बनेगा…” – जो धर्मनिरपेक्षता का नेशनल एंथम बन गया

1959 में जब बी.आर. चोपड़ा ने अपने छोटे भाई यश को डायरेक्शन की गद्दी सौंपी, तब शायद उन्होंने नहीं सोचा होगा कि हिंदी सिनेमा का सबसे संवेदनशील फिल्ममेकर पैदा हो रहा है — और वो भी एक ऐसी कहानी से, जिसमें बच्चा जंगल में साँप के साथ सेफ है, लेकिन समाज के बीच अनसेफ! धर्म, नैतिकता और ‘कुर्सी’ — कोर्ट में सब चुप! महेश कपूर (राजेंद्र कुमार) ने न सिर्फ प्रेमिका मीना को छोड़ा, बल्कि अपने बेटे को भी जंगल में फेंक दिया। लेकिन VIP बनकर लौटे तो “जज साहब”…

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धर्म का चश्मा उतार के देखिए हुसैन, अपने से लगेंगे | एक नई दृष्टि

जब हम किसी व्यक्ति या घटना को अपने धार्मिक चश्मे से देखते हैं, तो अक्सर हम उनकी वास्तविकता को समझने में चूक जाते हैं। यही कारण है कि हम इमाम हुसैन को केवल एक धार्मिक नेता के रूप में ही नहीं, बल्कि एक इंसानियत के प्रहरी के रूप में समझने की कोशिश करें। हुसैन का संघर्ष और उनका संदेश आज भी हमारे दिलों में गूंजता है, जो हमें धर्म, समानता और मानवता की सच्ची समझ देता है। हुसैन का संदेश – मानवता और समानता इमाम हुसैन का जीवन इस्लाम के…

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ईरान-इज़राइल युद्ध में इंसानियत हारी। पढ़िए एक भावनात्मक रिपोर्ट

कभी वह ख़बरों में था, कभी खुफ़िया रिपोर्टों में, और फिर एक दिन हकीकत बन गया — ईरान और इज़राइल के बीच जंग, वो भी उस वक्त जब दुनिया पहले ही नफरत और बारूद से थकी हुई थी। इस युद्ध में केवल मिसाइलें नहीं दागी गईं, माँओं की ममता, बच्चों के सपने, और इंसानियत की उम्मीदें भी चिथड़े-चिथड़े हो गईं। जहाँ एक पक्ष इसे “आत्म-सम्मान की रक्षा” कह रहा था, वहीं दूसरा “रक्षा का जवाब”। डार्लिंग, धर्म कोई स्टार्टअप नहीं है! पहले ग्रंथ पढ़ो, फिर प्रवचन दो लेकिन सच्चाई यह थी कि…

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