रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया, अपने सिर तक काट डाले — और शिव खुश भी हुए! लेकिन सिर्फ भक्ति से कुछ नहीं होता, जब मन में घमंड, वासना और सत्ता का नशा हो। शिव सबके! न धर्म, न जात — बस भक्ति का रास्ता शिव ने त्रिपुरासुर को मारा, दक्ष का यज्ञ जलाया, भस्मासुर को खुद नष्ट कराया — पर जब बात रावण की आई, तो उन्होंने intervene करना जरूरी नहीं समझा। क्यों? क्योंकि शिव अंधभक्तों के रक्षक नहीं। शिव न्यायप्रिय हैं, ना कि…
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