देश में जहां राजनीति पहले जाति और धर्म पर बंट रही थी, अब भाषा भी नया battleground बन गई है।दिल्ली पुलिस की एक कथित टिप्पणी — जिसमें बंगाली को “बांग्लादेशी भाषा” कहा गया — ने न सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि पूर्वोत्तर के राजनीतिक हलकों में भी आग लगा दी है। प्रद्योत देबबर्मा ने खींची भाषाई लकीर — “जन गण मन” याद है न? टिपरा मोथा के संस्थापक और त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने इस बयान पर Facebook पर गहरी आपत्ति जताते हुए लिखा: “बांग्लादेशी भाषा जैसी…
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