UPSC का सिलेबस हो चाहे अनंत, पारले जी माँ के टिफिन सा — हर बार 100%!

जब सपने हों बड़े, और पॉकेट में सिक्के खनकने की बजाय हँसी गूंजे, तो UPSC की तैयारी किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं लगती —  पर इस महाभारत में अर्जुन नहीं, पारले जी असली चक्रव्यूह तोड़ने वाले योद्धा बन जाते हैं। क्लास के नोट्स भले ना मिले हों, लेकिन अगर रूम में पारले जी पड़ा हो — तो समझो कंस्टीटूशन की हर आर्टिकल याद आ जाती है! और जब भूख इकोनॉमी की तरह मंदी में हो, तब मैगी ही फिस्कल स्टिमुलस बन जाती है। क्योंकि UPSC की असली तैयारी तो वहीं से शुरू…

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