भारत में ‘खाओ जो मन चाहे’ एक संवैधानिक अधिकार भले हो, लेकिन जब खाने के साथ धार्मिक भावनाएं परोसी जाएं, तो मामला स्वाद से ज़्यादा गंभीर हो जाता है। हाल ही में महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक ऐसे ही विवाद पर फैसला सुनाया जिसमें शाकाहारी ग्राहक ने मांसाहारी खाना मिलने पर छह लाख रुपये का मुआवजा मांगा, और बदले में आयोग से तर्क, तंज और न्याय – तीनों मिल गए। कोरोना फिर लौट आया! अब कौन कहेगा ‘गया वो दौर’? शिकायत क्या थी? मोमोज के साथ आया धार्मिक तूफान…
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