मोहर्रम का महीना सिर्फ शोक और इबादत का नहीं, बल्कि इतिहास, बहादुरी और इंसानियत की मिसाल है। पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में पूरी दुनिया में अजादारी होती है, लेकिन लखनऊ की अजादारी न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक, साहित्यिक और सामाजिक परंपराओं की एक बेमिसाल मिसाल है। यहां के शाही जुलूस, मर्सिये, ताबूत और गंगा-जमुनी तहज़ीब इसे विश्वभर में खास बनाते हैं। 06 जुलाई की ब्रेकिंग न्यूज़: प्रतापगढ़ से लेकर अमेरिका तक की 10 बड़ी खबरें तीन शाही जुलूस: नवाबी दौर…
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बीबी ज़ैनब (स.अ.) की बहादुरी पर भावुक नौहा – कर्बला की सच्ची वारिस
जब कर्बला की तपती रेत पर इंसानियत का इम्तिहान हुआ, तब सिर्फ इमाम हुसैन (अ.स.) ही नहीं, बल्कि उनकी बहन बीबी ज़ैनब (स.अ.) भी इतिहास रच रही थीं। ज़ैनब का किरदार सिर्फ एक बहन का नहीं, बल्कि हिम्मत, सब्र और आवाज़-ए-हक़ की पहचान है। 6 जुलाई की रात ‘तबाही’ लाएगी? ईरान का ट्रिपल अटैक प्लान नौहा: ” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा…” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा,आंखों से आंसू, दिल से खुदा देखा।भाई के लाशों पर खड़ी रही,ज़ालिमों का भी सामना बे-ख़ौफ़ किया। क़ैद में चादर छीनी गई,पर…
Read Moreधर्म का चश्मा उतार के देखिए हुसैन, अपने से लगेंगे | एक नई दृष्टि
जब हम किसी व्यक्ति या घटना को अपने धार्मिक चश्मे से देखते हैं, तो अक्सर हम उनकी वास्तविकता को समझने में चूक जाते हैं। यही कारण है कि हम इमाम हुसैन को केवल एक धार्मिक नेता के रूप में ही नहीं, बल्कि एक इंसानियत के प्रहरी के रूप में समझने की कोशिश करें। हुसैन का संघर्ष और उनका संदेश आज भी हमारे दिलों में गूंजता है, जो हमें धर्म, समानता और मानवता की सच्ची समझ देता है। हुसैन का संदेश – मानवता और समानता इमाम हुसैन का जीवन इस्लाम के…
Read Moreआज चाँद की तस्दीक हो गई, 27 जून को पहली मुहर्रम
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम चांद के दीदार के साथ शुरू हो गया है। यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान हजरत इमाम हुसैन (अ.स) और उनके 72 साथियों की कर्बला में दी गई शहादत को याद किया जाता है। इस माह के दौरान ताजिए और शोक की परंपरा विशेष रूप से देखने को मिलती है, और साथ ही हिजरी साल 1447 की शुरुआत भी होती है। हुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए कर्बला की घटना: बलिदान और संघर्ष…
Read Moreहुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए
इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत मोहर्रम से होती है, लेकिन ये कोई जश्न नहीं – एक ऐसा महीना है जो पूरी दुनिया को इंसाफ़, कुर्बानी और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होने का पाठ पढ़ाता है। आज से करीब 1400 साल पहले कर्बला की तपती रेत पर वो जंग लड़ी गई थी जिसमें सिर्फ़ हथियार नहीं, आदर्श, उसूल और इंसानियत टकरा रहे थे। पैग़ंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन, जिनका गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने अन्याय के सामने सिर झुकाने से इनकार कर दिया – उन्हें और उनके 71 साथियों…
Read Moreवाह दत्त सुलतान, हिंदू का धर्म, मुसलमान का ईमान, आधा हिंदू आधा मुसलमान
हुसैनी ब्राह्मण एक अद्वितीय समुदाय है जो मुख्य रूप से मोहयल ब्राह्मणों से संबंधित है। यह समुदाय विशेष रूप से पंजाब, जम्मू, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इनका इतिहास और संस्कृति हिंदू और इस्लामिक परंपराओं का मिश्रण है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। वक्फ़ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम भी! केंद्र बोला: धर्मनिरपेक्ष है प्रबंधन करबला युद्ध में भागीदारी: किवदंती के अनुसार, मोहयल ब्राह्मणों के दत्त उपवंश के एक सदस्य, रहब सिद्ध दत्त, ने इमाम हुसैन…
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