
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में लंबे समय से अटके स्कूल मर्जर प्लान और शिक्षक-छात्र अनुपात के गणित ने आखिरकार कुछ हलचल पैदा कर दी है। बेसिक शिक्षा विभाग ने ताज़ा सूची में बताया कि 3951 शिक्षक प्राइमरी स्कूलों में सरप्लस, 3144 शिक्षक उच्च प्राथमिक और हेड टीचर के पद पर सरप्लस, लेकिन दूसरी तरफ 24061 पद खाली, यानी शिक्षक कम, शिकायतें ज़्यादा!
सरल भाषा में कहें तो – एक कमरे में चार टीचर, दूसरे में चौबीस बच्चे बिना मास्टर के।
ऑनलाइन आवेदन: वेबसाइट बोली – “404 Not Found”
अब विभाग ने शिक्षकों से कहा, “भाइयों-बहनों, ऑनलाइन आवेदन करो, हम समायोजन कर देंगे।”
लेकिन हुआ क्या?
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शिक्षकों का लॉगिन नहीं हो रहा
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साइट बार-बार हैंग हो रही
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हेल्पलाइन नंबर सिर्फ घोषणा में, साइट पर गायब
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आवेदन के पहले दिन ही डिजिटल इंडिया का सपना Error 500 में बदल गया
एक टीचर का दर्द:
“बच्चों को पढ़ाना आसान है, ये ट्रांसफर फॉर्म भरना नहीं!”
डेफिसिट और सरप्लस का फॉर्मूला: तड़का ऊपर से नीचे तक
सरप्लस और डेफिसिट की गणना शिक्षक-छात्र अनुपात पर आधारित है। लेकिन मज़ा यह कि जहाँ शिक्षक नहीं हैं, वहाँ भेजना आसान नहीं — क्योंकि आवेदन की प्रक्रिया खुद ही कुर्सी पर बैठी सुस्ता रही है।
सरप्लस शिक्षक बनाम सिस्टम की साजिश: एक सियासी सस्पेंस!
हर चुनाव के पहले शिक्षक समुदाय को लेकर हलचल होती है।
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ट्रांसफर के नाम पर डिजिटल वादा,
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और फिर लालफीताशाही वाला नतीजा।
इस बार भी सरप्लस की सूची तो आ गई है, लेकिन समायोजन कब होगा, ये सवाल वैसा ही है जैसे:
“अगला पेपर कब होगा, सर?” – “जल्द बतायेंगे, बेटा।”
क्या आगे कुछ सुधरेगा?
बेसिक शिक्षा विभाग को अब करना होगा:
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तकनीकी खामियों को तुरंत ठीक
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हेल्पलाइन नंबर और ईमेल ID एक्टिव
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आवेदन प्रक्रिया पारदर्शी
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और ट्रांसफर नीति पर स्पष्ट दिशा-निर्देश
शिक्षक फ्री में ‘सरप्लस’, सिस्टम को चाहिए ‘अपग्रेड’!
7095 शिक्षक जहां फालतू हैं, वहीं 44 हज़ार से ज़्यादा पोस्ट खाली। अब सवाल यह नहीं कि लिस्ट बन गई — सवाल ये है कि क्या शिक्षकों को उनका ‘ठिकाना’ मिलेगा या सिस्टम एक बार फिर “लॉग आउट” हो जाएगा?