राम से नाता, विकास की बात—MLA चौरसिया का ‘हिंदुत्वनामा’

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब हिंदुत्व, विकास और संस्कृति की बात होती है, तो भाजपा विधायक सुरेन्द्र चौरसिया का नाम ज़रूर सामने आता है। हाल ही में उन्होंने पत्रकार साक्षी चतुर्वेदी से एक खास बातचीत में अपनी विचारधारा, राम मंदिर आंदोलन, कांवड़ यात्रा और अपने निर्वाचन क्षेत्र रामपुर कारखाना को लेकर बेबाक राय रखी।

चौरसिया ने जहां एक ओर हिंदुत्व को जीवनशैली बताया, वहीं दूसरी ओर राम मंदिर को आत्मगौरव का प्रतीक माना। कांवड़ यात्रा को उन्होंने युवा ऊर्जा और अनुशासन का उत्सव कहा, और अपने क्षेत्र में विकास की कहानी को “भक्ति और प्रगति का संगम” बताया।

इस बातचीत में राजनीति कम और दर्शनशास्त्र ज़्यादा झलकता है।

साक्षी चतुर्वेदी से बातचीत में विधायक सुरेन्द्र चौरसिया ने साफ कहा कि हिंदुत्व कोई चुनावी मुद्दा नहीं, यह जीवन पद्धति है। उनका मानना है कि भारत को तोड़ने वाली शक्तियों को जवाब देने का सबसे बड़ा तरीका है — संस्कृति से जुड़ाव

राम मंदिर: “ये सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना है”

विधायक चौरसिया ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण न केवल धार्मिक विजय है, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी है। उन्होंने इसे “हजारों साल के अन्याय का जवाब” बताया।

कांवड़ यात्रा: “युवा शक्ति का ऊर्जावान रूप”

उन्होंने कांवड़ियों को लेकर कहा कि ये सिर्फ जल चढ़ाने नहीं निकलते, ये सामूहिक अनुशासन और श्रद्धा की मिसाल हैं। उन्होंने प्रशासन की कांवड़ यात्रा में व्यवस्था की भी सराहना की।

रामपुर कारखाना विधानसभा: “अब न विकास रुकेगा, न राम”

विकास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रामपुर कारखाना में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों पर ऐतिहासिक काम हुआ है। उनका दावा है कि क्षेत्र को एक “मॉडल विधान सभा” बनाना उनका लक्ष्य है।

निष्कर्ष: जब नेता ‘राम’ से बात शुरू करें और ‘विकास’ पर खत्म करें — समझिए कि चुनाव नज़दीक है!

सुरेन्द्र चौरसिया की बातें सुनकर साफ है कि भाजपा नेता हिंदुत्व के साथ-साथ विकास को भी आगे ला रहे हैं — लेकिन अंदाज़ ऐसा है कि हर बयान में एक रील बनाने लायक punchline मौजूद हो।

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