स्पेस से आई भारत की आवाज़! शुभांशु ने ISS में किया इतिहास रचने का ऐलान

अजमल शाह
अजमल शाह

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन बन चुका है। वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में कदम रखा। यह केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण था। शुभांशु शुक्ला का ISS में स्वागत, विशेष रूप से उनके स्पेस वेलकम ड्रिंक के साथ, यह संकेत था कि भारत अब अंतरिक्ष की दुनिया में एक मजबूत खिलाड़ी बन चुका है।

आज चाँद की तस्दीक हो गई, 27 जून को पहली मुहर्रम

ड्रैगन कैप्सूल की रोमांचकारी यात्रा

यह ऐतिहासिक यात्रा स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए संभव हुई, जो Axiom-4 (Ax-4) मिशन का हिस्सा था। यह यान, 28,000 किमी/घंटा की गति से पृथ्वी से 418 किमी की ऊंचाई पर यात्रा करते हुए ISS तक पहुंचा। हैरानी की बात यह थी कि ड्रैगन कैप्सूल ने तय समय से 20 मिनट पहले ही ISS से सफलतापूर्वक डॉक किया। यह पूरी डॉकिंग प्रक्रिया स्वचालित थी, लेकिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु और मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन ने हर पल की निगरानी की। GPS, लेज़र और कैमरा आधारित तकनीक का उपयोग कर इस डॉकिंग को सटीकता से अंजाम दिया गया।

14 दिन अंतरिक्ष में, महत्वपूर्ण प्रयोग और रिसर्च

अब शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम अगले 14 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे। इस दौरान वे अंतरिक्ष विज्ञान, माइक्रोग्रैविटी और ह्यूमन बॉडी रिस्पॉन्स पर महत्वपूर्ण प्रयोग करेंगे। यह समय न केवल भारत के लिए गर्व का होगा, बल्कि एक कदम और आगे बढ़ने के लिए यह अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

‘मैं भारत से हूं!’ – शुभांशु शुक्ला की पहली आवाज़

ISS पहुंचते ही शुभांशु शुक्ला ने जो पहला संदेश दिया, वह हर भारतीय के दिल को छू गया। “नमस्कार स्पेस से… मैं भारत से हूं!” यह संदेश न केवल गर्व का प्रतीक था, बल्कि यह उस जुनून और साहस का भी प्रतीक था, जो भारतीय अंतरिक्ष मिशनों में हमेशा से रहा है। इसने भारत को फिर से अंतरिक्ष के मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया, ठीक उसी तरह जैसे राकेश शर्मा ने किया था।

भारत अब अंतरिक्ष की मेज पर

इस मिशन के साथ भारत ने यह साबित कर दिया है कि अब वह सिर्फ अंतरिक्ष में लॉन्चिंग तक सीमित नहीं है। भारत अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने की भी क्षमता रखता है। शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के लिए नए अध्याय का आगाज है, जो अंतरिक्ष में और अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर कदम बढ़ाता है।

हुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए

Related posts