चुनाव के बाद बड़ा धमाका— रोहिणी का संन्यास, परिवार भी छोड़ा

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आते ही जहां राजनीतिक दल नतीजों की समीक्षा में जुटे थे, उसी बीच लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने चौंकाने वाला फैसला सुनाया। उन्होंने राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने की घोषणा कर दी।
यह ऐलान उन्होंने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर किया, जिससे RJD खेमे में जोरदार हलचल मच गई।

संजय यादव और रमीज पर दबाव डालने का आरोप

रोहिणी ने अपने पोस्ट में लिखा— “मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।”

यह बयान साफ संकेत देता है कि RJD के भीतर लंबे समय से simmering family tensions अब खुलकर सतह पर आ चुके हैं।

RJD ने कहा—परिवार का आंतरिक मामला

रोहिणी के इस बड़े फैसले के बाद RJD की प्रतिक्रिया भी सामने आई। पार्टी ने इसे लालू परिवार का निजी मामला बताते हुए बयान देने से किनारा किया। लेकिन राजनीतिक हलकों में यह साफ माना जा रहा है कि परिवारिक विवाद चुनावी हार के समय बाहर आना पार्टी के लिए बड़ा झटका है।

BJP नेता प्रदीप भंडारी ने कहा—PM की भविष्यवाणी सच

BJP नेता प्रदीप भंडारी ने X पर लिखा— “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘परिवार बनाम परिवार’ वाली भविष्यवाणी सच साबित हो रही है। RJD का अंदरूनी संकट अब पूरी तरह उजागर हो गया है।”

इस बयान से राजनीतिक बहस और तेज हो गई है।

लालू परिवार में कलह कोई नई बात नहीं—इतिहास उठाता है परतें

RJD के भीतर पारिवारिक विवाद पहली बार सामने नहीं आया है। तेज प्रताप यादव पहले ही पार्टी और परिवार से दूरी बना चुके हैं। लालू यादव ने खुद उन्हें बेदखल किया था, जिसके बाद तेज प्रताप ने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बनाई और RJD के खिलाफ खुला चुनाव लड़ा। हालांकि वे महुआ सीट से हार गए, लेकिन परिवार के भीतर की तकरार उजागर हो गई।

अब रोहिणी का राजनीति छोड़ना इस संकट को और गहरा करता दिख रहा है।

क्या RJD की एकजुटता पर असर पड़ेगा?

चुनावी हार के बीच परिवारिक दरार का सामने आना RJD की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है। यह घटनाक्रम पार्टी की leadership credibility और internal cohesion पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।

रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्यास और परिवार से दूरी बनाने का ऐलान RJD के लिए एक बड़ा झटका है। यह केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी असंतोष और नेतृत्व संघर्ष का संकेत भी है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में RJD इस संकट से कैसे बाहर निकलती है।

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