जिंदा लौट आई — कब्र खोदकर निकला कंकाल भी फेल हो गया, पुलिस की कहानी उलट गई!

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

छत्तीसगढ़ में अगस्त 2024 में लापता हुई चलना पदर गांव की एक नाबालिग लड़की जब 13 मई की रात अचानक घर लौट आई, तो पूरे गांव में सन्नाटा और हैरानी का माहौल बन गया।

पुलिस ने इस केस में अपहरण, हत्या और शव दफनाने तक की थ्योरी गढ़ दी थी — लेकिन जब वो लड़की ज़िंदा-सलामत सामने आ खड़ी हुई, तो सबका भरोसा हिल गया।

कब्र में मिला कंकाल, लेकिन कहानी कुछ और थी…

लड़की के लापता होने के बाद पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर पड़ोसी लालधर गौड़ (उम्र 40) को उठाया। पूछताछ में जब उसने गोलमोल जवाब दिए, तो शक गहराया और गांव के श्मशान घाट में एक कब्र खुदवा दी गई।

कब्र से जो कंकाल निकला, फॉरेंसिक रिपोर्ट में वह 10 साल पुराना निकला। इस चूक ने पुलिस की थ्योरी की नींव हिला दी।

आदिवासी समाज का उबाल

इस कार्रवाई से गुस्साए आदिवासी समाज ने 27 मार्च को देवभोग थाने का घेराव किया। नेत्री लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में समाज ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लालधर को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिससे उसका एक पैर भी टूट गया।

लौटी बेटी, सब रह गए हैरान

लड़की ने बताया कि वह बालोद जिले में एक रिश्तेदार के घर रह रही थी। पुलिस ने औपचारिक बयान लेने के बाद उसे परिवार को सौंप दिया।

देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने कहा:

“मामला दर्ज होने के वक्त युवती नाबालिग थी, अब बालिग है। उसका बयान बीएनएस 183 के तहत न्यायालय में दर्ज होगा — जिससे तय होगा कि ये अपहरण था या वह खुद से घर छोड़कर गई थी।”

कब्र खुदी क्यों?

अब असली सवाल यह है कि:

  • अगर लड़की खुद गई थी, तो पुलिस ने हत्या और दफन की थ्योरी क्यों बनाई?

  • क्या किसी ने जानबूझकर लालधर को फंसाया?

  • 10 साल पुराना कंकाल क्या महज इत्तेफाक था या कोई पुरानी लापता कहानी सामने आने वाली है?

विश्लेषण (Syed Husain Afsar की कलम से):

“ये केस केवल एक लड़की की वापसी नहीं है — ये प्रशासनिक जल्दबाज़ी, सामाजिक संवेदनशीलता और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल है। अगर बिना पुष्टि के कब्रें खुदने लगें, तो न्याय कब्र में ही दफन हो जाएगा।”

चलना पदर गांव में एक लापता लड़की की वापसी ने सबको राहत दी, लेकिन साथ ही पुलिस जांच की खामियों और सामुदायिक तनाव को उजागर कर दिया। ये मामला अब सिर्फ क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और संवेदनशील जांच की मिसाल भी बन गया है।

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