
जब आरसीबी ने चिन्नास्वामी स्टेडियम में पुण्य दिवस जैसा विजय जश्न रखा, तब पुलिस को गोपनीय मैसेज भी नहीं भेजा था! बिना अनुमति सोशल मीडिया पर सुबह-सुबह पोस्ट करके 3 लाख से ज्यादा फैंस बुला दिए गए – और फिर भगदड़।
इसमें 11 लोगों की जान गई और 50+ घायल हो गए।
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विराट कोहली का ‘आह्वान’ कथित रूप से ट्रिगर
रिपोर्ट में कहा गया कि RCB ने सुबह 7:01 बजे फोटो, 8:00 बजे फिर सूचना और 8:55 बजे विराट कोहली का वीडियो साझा किया:
“टीम इस जीत का जश्न 4 जून को बैंगलोर में फैंस के साथ मनाना चाहती है।”
और तत्क्षण – भीड़ महानगर की सीमा तक दौड़ पड़ी! कर्नाटक सरकार के अनुसार, कोहली बोले – और 3 लाख लोग जमा हो गए।
अनुमति कहाँ थी?
रिपोर्ट साफ़ कहती है:
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कोई पुलिस या प्रशासन से कॉआर्डिनेशन नहीं किया गया
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कोई official अनुमति नहीं ली गई
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आम लोगों के लिए पास की सूचना दे दी गई, लेकिन गेट देरी से खोले गए
कर्नाटक सरकार समर्थित रिपोर्ट में लिखा:
“ऐसा प्रोग्राम कम से कम एक सप्ताह पहले मंजूरी के बाद ही किया जा सकता था इन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।”
जिम्मेदारी किसकी?
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RCB: सोशल मीडिया पर बिना अनुमति प्रचार
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कोहली: जश्न के लिए स्पष्ट ‘आमंत्रण’
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पुलिस/प्रशासन: भीड़ नियंत्रण विफल
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स्टेडियम प्रबंधन: देर से प्रवेश, हाथी और चूहे एक साथ
रिपोर्ट में विशेष रूप से विराट कोहली को ‘भीड़ बुलाने और भगदड़ की शुरूआत’ का जिम्मेदार बताया गया है।
अब हाईकोर्ट में बहस किधर जाएगी?
कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है। अब अदालत देखेगी:
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RCB पर अदालत-आदेश उल्लंघन का आरोप लगाया जाए या नहीं
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क्या विराट कोहली की जगह “प्रचारक” और “आयोजक” को ट्रिगर माना जाए
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पुलिस-प्रशासन की जवाबदेही मदद की जांच में आएगी
विराट ने कहा “चलो जश्न मनाते हैं” – और बाहर मैदान में बन गई ट्रैजेडी।
इसमें कोई शक नहीं कि permission नहीं ली, मगर क्या इसे एक ‘स्टार इज्यू’ बनाया जाएगा? या फिर कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट सिर्फ एक शर्मनाक ट्रॉफी बनकर रह जाएगी?
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