
सांसद और फिल्म स्टार रवि किशन शुक्ला इन दिनों सुर्खियों में हैं, लेकिन वजह कोई फिल्म नहीं बल्कि समोसे का साइज है। संसद में ढाबों और होटलों में मिलने वाले समोसे की साइज और कीमत को लेकर सवाल उठाने वाले रवि किशन को उनके संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
पोस्टर वार: ‘समोसे की फिक्र, जनता की नहीं?’
गोरखपुर शहर में सपा नेता अविनाश तिवारी की तरफ से पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें रवि किशन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। पोस्टर में लिखा है – “समोसे के साइज पर चिंता, लेकिन जलजमाव से मरी बच्ची आफरीन पर खामोशी क्यों?”
जलभराव बना जानलेवा, मासूम आफरीन की मौत
11 अगस्त को तिवारीपुर क्षेत्र में 8 साल की आफरीन की खुले नाले में बहने से मौत हो गई। वह मदरसे से लौट रही थी तभी बरसात के पानी से उफनाए नाले में फिसलकर गिर गई और 50 मीटर तक बह गई। अस्पताल पहुंचते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया।
सपा और अखिलेश यादव का वार
जलभराव के मुद्दे पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहले भी हमलावर रहे हैं। कुछ साल पहले उन्होंने जूही सिंह को नाव लेकर गोरखपुर भेजा था ताकि जलभराव की गंभीरता को दिखाया जा सके। अब आफरीन की मौत ने इस पुराने जख्म को फिर से ताजा कर दिया है।
संसद में समोसा, जनता में ग़ुस्सा
30 जुलाई को रवि किशन ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा था:
“दिल्ली में समोसे का रेट अलग, गोरखपुर में अलग। कहीं छोटका समोसा मिलता है तो कहीं बड़का…”
उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, लेकिन मुद्दा खाद्य पदार्थों के मानकीकरण का था। रवि किशन का कहना है कि वह गरीबों की सेहत और जेब से जुड़ा मुद्दा उठा रहे थे।
“मैं ट्रोल आर्मी से नहीं डरता, जो सही है वो कहता हूं,” – रवि किशन
क्या है जनता की मांग?
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नालों की सफाई और ढकाव की ठोस व्यवस्था
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जल निकासी की स्थायी योजना
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बच्चों की सुरक्षा के लिए सड़क और नालों के पास चेतावनी बोर्ड
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मुद्दों से भटकने की बजाय स्थानीय समस्याओं पर ध्यान
सांसद रवि किशन ने एक नेशनल डिबेट की बात की, लेकिन स्थानीय लोग चाहते हैं कि गोरखपुर की ज़मीनी हकीकत पर भी सांसद उतनी ही गंभीरता दिखाएं। समोसा तो चर्चा का बहाना बना, लेकिन अब सवाल जन सुविधाओं और ज़िंदगियों पर है।