
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन ने भारत की 2,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन कब्ज़ा ली है।
जज साहब का तीखा सवाल:
“क्या आप वहां मौजूद थे? क्या आपके पास कोई ठोस जानकारी है? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसा नहीं कहेंगे।”
धर्मेंद्र प्रधान का पलटवार: “जो संविधान लेकर घूमते हैं, वही सबसे बड़े विरोधी”
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर अपनी ही स्टाइल में कांग्रेस पर हमला बोला:
“जो लोग संविधान लेकर देशभर में घूम रहे थे, वे असल में संविधान विरोधी हैं। बार-बार मौका मिलते ही इन्होंने संविधान को तार-तार किया है।”
मतलब संविधान को सिर पर उठाओगे, तो रूल बुक पढ़कर ही जवाब मिलेगा!
प्रियंका गांधी का डिफेंस मोड: “जज तय न करें कि कौन सच्चा भारतीय है”
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भाई के बयान की सफाई दी:
“राहुल गांधी सेना का सबसे ज़्यादा सम्मान करते हैं। वो कभी भी भारतीय सेना के ख़िलाफ़ नहीं बोल सकते। विपक्ष का काम सवाल पूछना है, जज ये तय न करें कि कौन देशभक्त है।”
उनका टोन सीधा था लेकिन इशारा साफ़ — न्यायपालिका vs विपक्ष, यह नई बहस है क्या?
2022 से 2025 तक ‘चीन कब्ज़ा’ का मुद्दा क्यों गूंज रहा है?
राहुल गांधी ने यह बयान 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिया था।
उन्होंने कहा था:
“कोई यह नहीं पूछेगा कि चीन ने कैसे हमारे सैनिकों की हत्या की और ज़मीन कब्ज़ा ली।”
लेकिन सालों बाद सुप्रीम कोर्ट में ये बयान एक संवैधानिक ‘ट्रिगर पॉइंट’ बन गया है।
एक टिप्पणी से संविधान, देशभक्ति और राजनीति – सब एक ही कटघरे में!
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी एक सवाल था — लेकिन उसके जवाब में सियासत ने पूरा संसद सत्र रच दिया।
अब ये मुद्दा बन गया है:
“कौन है सच्चा भारतीय?”
और जवाब शायद अगले चुनाव से पहले मिल ही जाएगा… या फिर फिर से एक और यात्रा निकालनी पड़ेगी!
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