
भारत की सियासत में एक बार फिर से हलचल तेज़ है। वोट चोरी (Vote Chori) के आरोपों को लेकर विपक्ष एकजुट होकर सोमवार को संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकालने जा रहा है।
राहुल गांधी के नेतृत्व में विरोध मार्च
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक़, इस विरोध मार्च की अगुवाई लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी करेंगे।
इस मार्च का मक़सद है — चुनावों में कथित धांधली और वोटर फ्रॉड के खिलाफ जनजागरण और संस्थागत जवाबदेही की माँग।
क्यों हो रहा है ये मार्च?
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर सवाल
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कुछ राज्यों में कथित दोहरी वोटिंग की घटनाएं
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कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोप: “लोकतंत्र को तकनीक के जरिए कमजोर किया जा रहा है।”
राहुल गांधी पहले भी ‘वोट चोरी’ को लेकर खुलकर बोलते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक सभा में कहा था कि “एक महिला ने दो बार वोट डाले।”
इसके चलते उन्हें कर्नाटक चुनाव आयोग की ओर से नोटिस भी मिला है।
चुनाव आयोग से मिलने की मांग
विपक्षी सांसदों ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य दो चुनाव आयुक्तों से मुलाक़ात के लिए समय माँगा है।
उनकी मांग है कि:
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मतदाता सूची की ऑडिटिंग हो
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चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए

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टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोका जाए
खड़गे की डिनर डिप्लोमेसी
मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्षी सांसदों के लिए डिनर मीटिंग आयोजित किया।
यह मीटिंग इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A.) की एकता को मज़बूत करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
क्या है पॉलिटिकल बैकड्रॉप?
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लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से विपक्ष लगातार चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है
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कई राज्यों में विपक्षी दलों ने EVM, मतदाता सूची और फर्जी वोटिंग की शिकायत की है
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यह विरोध मार्च विपक्ष की संवैधानिक संस्थाओं में विश्वास बहाली की एक कोशिश मानी जा रही है
वोटिंग प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर इस तरह का विपक्षी विरोध, आने वाले समय में भारतीय राजनीति की दिशा तय कर सकता है।
क्या चुनाव आयोग इन मांगों पर ध्यान देगा या फिर यह केवल एक और सियासी प्रदर्शन बनकर रह जाएगा — यह देखना बाकी है।
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