
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जब बोलते हैं, तो शब्द नहीं चलते – बल्कि स्लाविक ठहाके और सियासी संकेत गूंजते हैं। चीन दौरे पर उन्होंने अमेरिका को फटकार लगाते हुए कहा:
उन्होंने साफ कहा कि अमेरिका का रवैया – ‘तू दबे, मैं जिऊं’ – अब नहीं चलेगा। भारत 1.5 अरब लोगों का देश है, चीन एक इकोनॉमिक पॉवरहाउस है, और इनकी पॉलिटिक्स कोई हॉलीवुड स्क्रिप्ट नहीं।
टैरिफ तमाशा: ‘तेल खरीदो तो युद्ध फाइनेंस करो’?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी। वजह?
“भारत रूस से तेल खरीदता है, और वही पैसा यूक्रेन युद्ध चला रहा है।”
वाह, क्या लॉजिक है! अगर यही लॉजिक है, तो फिर अमेरिका के Burger खाने से Obesity Epidemic चल रहा है – उस पर टैक्स कब?
पुतिन का पॉइंट: ‘कॉलोनियल युग गया बाबू!’
पुतिन का तंज था की भारत और चीन जैसे देशों को उनकी राजनीतिक आत्मा से मत खेलो। ये वो देश हैं जो सदियों की गुलामी झेल चुके हैं।

“अगर इनमें से कोई नेता झुका, तो करियर गया झोले में।”
दूसरे शब्दों में कहें, तो ‘दबाव’ अब डिप्लोमेसी नहीं, चिढ़ पैदा करता है।
‘जलेबी’ सुलझेगी?
पुतिन बोले, “अंत में सब ठीक हो जाएगा” – ये लाइन तो बॉलीवुड डायरेक्टर भी देते हैं। लेकिन जब पुतिन कहें, तो Subtext पढ़िए: अमेरिका अगर नहीं सुधरा, तो आने वाला वक्त ट्रेंडिंग नहीं, Turning होगा।
अमेरिका को अब समझना होगा कि भारत और चीन ‘Yes Boss’ मोड में नहीं हैं। नई दुनिया है, नया गेम है – और पुतिन इस खेल में चेस खेलते हैं, चेस नहीं खाते!