
केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया आज यमन की एक जेल में फांसी की सजा का इंतजार कर रही हैं। उन पर 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। कोर्ट दस्तावेजों के मुताबिक, निमिषा ने महदी को नशीला पदार्थ देकर बेहोश करने की कोशिश की थी ताकि वह उससे अपना पासपोर्ट वापस ले सके। लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण महदी की मौत हो गई। इसके बाद निमिषा ने एक दूसरी भारतीय नर्स की मदद से शव के टुकड़े किए और उन्हें एक अंडरग्राउंड टैंक में फेंक दिया।
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यमन की अदालत का फैसला और कानूनी लड़ाई
हत्या के कुछ ही हफ्तों बाद निमिषा को सऊदी-यमन बॉर्डर पर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने पुलिस को दिए गए अपने बयान में हत्या की बात स्वीकार की। इसके बाद यमन की निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। निमिषा के परिवार ने इस फैसले को यमन की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन अपील खारिज कर दी गई। बाद में उन्होंने यमन के राष्ट्रपति से दया याचिका भी दायर की जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयास नाकाम
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने सोमवार को बताया कि सभी संभावित राजनयिक और कानूनी प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन यमन सरकार ने फांसी टालने से साफ इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि 16 जुलाई को होने वाली फांसी को रोकने के लिए सोमवार सुबह भी वार्ता की गई थी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
ब्लड मनी से भी नहीं बनी बात
अरब देशों में “ब्लड मनी” (मृतक के परिवार को मुआवज़ा देकर फांसी से राहत) एक मान्यता प्राप्त तरीका है, लेकिन महदी का परिवार ब्लड मनी लेने के लिए भी तैयार नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार, हत्या की गंभीरता को देखते हुए यमन सरकार और मृतक का परिवार किसी भी समझौते के लिए इच्छुक नहीं हैं।
कैसे फंसीं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया 2008 में यमन गईं थीं, जहां वह एक अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत रहीं। बेहतर कमाई के लिए उन्होंने 2015 में एक स्थानीय नागरिक तलाल महदी के साथ मिलकर अपना खुद का क्लिनिक खोला। हालांकि, महदी ने दस्तावेज़ों में हेरफेर कर क्लिनिक अपने नाम करवा लिया और खुद को निमिषा का पति बताकर उनके पैसों पर कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं, उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जिससे वह यमन से बाहर नहीं जा सकीं।
प्रताड़ना और पलायन की कोशिश
महदी का व्यवहार धीरे-धीरे हिंसक और ज़ालिम हो गया। वह शारीरिक और मानसिक रूप से निमिषा का शोषण करने लगा। एक बार पुलिस में शिकायत करने पर खुद निमिषा को ही जेल भेज दिया गया। इन हालातों से परेशान होकर उन्होंने महदी को बेहोश करने की कोशिश की, जो दुर्भाग्य से हत्या में बदल गई। महदी की मौत के एक महीने बाद जब निमिषा सऊदी बॉर्डर से भागने की कोशिश कर रही थीं, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
परिवार की अपील और आखिरी उम्मीदें
निमिषा की मां, बेटी और पति भारत में लगातार सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी जान बचाने के लिए आखिरी प्रयास किए जाएं। कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक नेताओं और केरल के जनप्रतिनिधियों ने भी इस दिशा में भारत सरकार से संपर्क किया है। लेकिन अब जबकि सभी कूटनीतिक दरवाज़े बंद हो चुके हैं, परिवार की उम्मीदें सिर्फ एक चमत्कार पर टिकी हैं।
अब क्या कोई रास्ता बचा है?
यमन में कानून और न्याय व्यवस्था बेहद सख्त मानी जाती है। निमिषा प्रिया का केस अब सिर्फ भारत-यमन संबंधों का नहीं, बल्कि नैतिक, मानवाधिकार और मानवीय करुणा का सवाल बन चुका है। जहां एक ओर उनके खिलाफ अपराध गंभीर है, वहीं दूसरी ओर, भारत में यह बहस तेज हो गई है कि क्या हर भारतीय नागरिक को विदेश में ऐसी परिस्थितियों में अकेला छोड़ देना चाहिए?
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