
सऊदी अरब की रेत से गर्म माहौल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पुराने बयानों पर बर्फ़ डालते हुए एक नया मोड़ ले लिया है। रियाद में इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा – “मैं ईरान से डील करना चाहता हूं।” अब यह बात सुनकर ईरान भी चाय का पानी चढ़ा ही रहा होगा कि आगे कड़ाही में शांति आएगी या पाबंदियों का पकवान फिर परोसा जाएगा।
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ट्रंप ने ईरान पर रक्तपात की फंडिंग का आरोप भी दोहराया, पर साथ ही “आशापूर्ण भविष्य” और “बेहतर रास्ते” की बात कहकर कूटनीतिक डमरू भी बजा दिया। हालांकि, अगले ही वाक्य में ट्रंप का दबाव वाला अंदाज़ भी छलक पड़ा – “अगर हमला हुआ तो हम ईरान का तेल बंद कर देंगे।”
यानि ईरान से मोहब्बत भी, मगर पाबंदी की पगड़ी हाथ में लिए!
ट्रंप का यह नया अवतार बताता है कि अमेरिकी विदेश नीति में विचार बदले जाते हैं, बयान नहीं। कल तक जो ईरान “बुराई की धुरी” था, आज उससे “डील की उम्मीद” है। सऊदी अरब में बैठकर ईरान को समझाइश देना कुछ वैसा ही है जैसे बिरयानी की थाली में खीर रखने की सलाह देना—न तो पकवान मानेगा, न पड़ोसी।

अब देखना ये है कि ईरान ट्रंप के “डील-मिश्रित धमकी” पर क्या प्रतिक्रिया देता है—डिप्लोमैसी के दरवाज़े खोलेगा या फिर ड्रोन की दिशा तय करेगा।
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