बृजेश पाठक पर सपा की टिप्पणी से गरमाया सियासी पारा, अखिलेश ने दी नसीहत

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश में मामला तूल तब पकड़ गया जब समाजवादी पार्टी (सपा) के मीडिया सेल ने उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को लेकर एक तीखी और आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।

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इस पोस्ट के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई और बृजेश पाठक के समर्थकों ने अखिलेश यादव का पुतला भी फूंका।

अखिलेश यादव का संतुलित बयान, लेकिन तीखे संकेत

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को खुद आगे आकर मोर्चा संभालना पड़ा। उन्होंने एक लंबा पोस्ट जारी करते हुए कार्यकर्ताओं को संयम बरतने की सलाह दी और बृजेश पाठक को मर्यादित भाषा में बोलने की नसीहत भी दे डाली।

उन्होंने लिखा:

“आप अपनी टिप्पणी के लिए उस अच्छे इंसान से क्षमा मांगिए, जो पहले ऐसा न था।”

अखिलेश ने यह भी स्पष्ट किया कि बृजेश पाठक की “डीएनए टिप्पणी” से समाज का एक बड़ा वर्ग आहत हुआ है, खासकर वे लोग जो खुद को यदुवंशीय परंपरा से जोड़ते हैं। उन्होंने लिखा कि यह टिप्पणी न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की आस्था पर भी चोट है।

क्या सियासी लड़ाई गरिमा की सीमा लांघ रही है?

बृजेश पाठक पर की गई डिजिटल टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद अब राजनीति की संवेदनशीलता और गरिमा पर सवाल खड़े कर रहा है। भाजपा इसे सपा की नीच राजनीति बता रही है, वहीं सपा इसे भड़काऊ भाषा के खिलाफ प्रतिक्रिया मान रही है।

इस घटनाक्रम ने सियासत को जहां एक ओर धधका दिया है, वहीं अखिलेश यादव ने कोशिश की है कि विवाद शांत हो। लेकिन विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बयानबाज़ी की चिंगारी अभी बुझी नहीं है।

सियासी गलियों में भी तपिश ने मोर्चा संभाल लिया है। ऐसे में जरूरी है कि राजनीति मर्यादा की छांव में लौटे, ताकि जनता को राहत मिले — सिर्फ गर्मी से ही नहीं, राजनीतिक तनाव से भी।

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