
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय बैठक हुई। बैठक में जहां राजनीतिक हवा में गर्मी थी, वहीं दोनों नेताओं ने कूटनीतिक ठंडक के साथ सीमा विवाद से लेकर कैलाश यात्रा और डायरेक्ट फ्लाइट्स तक की चर्चा की।
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर हरी झंडी
PM मोदी ने इस मुलाकात में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की घोषणा की, जिसे लेकर यात्रियों और धार्मिक श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर है। चीन की सहमति से यह यात्रा अब पुनः चालू होगी, जो भारत-चीन “धार्मिक डिप्लोमेसी” का एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
“कैलाश की चढ़ाई के लिए अब दिल की उड़ान के साथ डायरेक्ट फ्लाइट भी मिलेगी।”
सीधी उड़ानों पर सीधी बात
PM मोदी ने कहा कि भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली से न सिर्फ यात्रा आसान होगी, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क भी बढ़ेगा।
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सीमा विवाद: अब तलवार नहीं, समझदारी चलेगी
PM मोदी ने सीमा पर शांति और स्थायित्व के लिए हो रहे प्रयासों की तारीफ की और कहा कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है।
शी जिनपिंग ने भी माना कि “मौजूदा वैश्विक हालात में भारत और चीन का एक साथ आना जरूरी है।”
“हाथ मिलाने की राजनीति अब राइफल हटाने की रणनीति में बदल रही है।”
विश्व के लिए संदेश
PM मोदी ने बैठक में दोहराया कि भारत और चीन मिलकर 2.8 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में दोनों देशों का सहयोग सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक कल्याण के लिए जरूरी है।

“जब दो एशियाई दिग्गज साथ होते हैं, तो दुनिया की नींद उड़ जाती है – और बाज़ार की सांसें थम जाती हैं।”
मुलाकात का राजनैतिक अर्थ:
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संदेश अमेरिका को: क्वाड और टैरिफ विवाद के बीच भारत-चीन करीब आना वॉशिंगटन को ज़रूर नोट करना पड़ेगा।
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घरेलू राजनीति: सीमा मुद्दों पर मोदी सरकार के रुख को ‘सॉफ़्ट डिप्लोमेसी’ का नया चेहरा मिल रहा है।
“ना गोली, ना गाली – अब होगी सीधी बात और सीधी फ्लाइट!”
भारत और चीन के बीच यह मुलाकात SCO जैसे मंच पर हुई, लेकिन इसका असर एशिया से लेकर अमेरिका तक दिखेगा। कैलाश यात्रा की बहाली हो या सीमा पर स्थिरता, ये एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है।
“जब महाशक्तियों की मुलाकात हो, तो सिर्फ तस्वीरें नहीं बनतीं… इतिहास बनता है।”