
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (SCO) समिट में जब माइक पकड़ा, तो उसमें सिर्फ़ शब्द नहीं, डिप्लोमैटिक पंचलाइन भी निकले।
उन्होंने कहा:
“नई पीढ़ी के बहुरंगी सपनों को पुराने ज़माने की ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन पर नहीं दिखा सकते। स्क्रीन बदलनी होगी।”
लोगों को लगा शायद कोई नया OTT प्लेटफॉर्म लॉन्च हो रहा है, लेकिन नहीं — ये संयुक्त राष्ट्र की आउटडेटेड व्यवस्था पर कटाक्ष था।
संयुक्त राष्ट्र रिफॉर्म की ‘HD मांग’
PM मोदी ने SCO देशों से कहा, “यूएन की 80वीं वर्षगांठ पर हमें साथ आकर इसका री-बूट करना चाहिए। जो संस्थाएं 1945 में बनी थीं, क्या वो 2025 की चुनौतियों को झेल सकती हैं?”
अब जब बाकी नेता चाय-सूप पी रहे थे, मोदी जी संस्थागत मेकओवर का पूरा रोडमैप बना रहे थे।
आतंकवाद पर डबल स्टैंडर्ड? मोदी बोले – ‘ना बाबा ना’
अपने भाषण में मोदी जी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना, इतनी स्पॉटलाइट मारी कि लाहौर तक बिजली चली गई होगी।
“हम पिछले 4 दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं। हाल ही में पहलगाम हमले में जो हुआ, वो सिर्फ़ भारत पर हमला नहीं था, वो पूरी मानवता को चुनौती थी।”
डिप्लोमैटिक वर्जन में गरज तो थी, पर Lightning mode ऑन था।
और फिर आई वो लाइन जिसे हर न्यूज चैनल ने ब्रेकिंग बना दिया:
“आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं होगा।”
(इसी लाइन के बाद कैमरा शी जिनपिंग की तरफ घूमा… वो मुस्कराए नहीं।)
शी जिनपिंग को मोदी जी ने किया धन्यवाद – और क्या?
मोदी जी ने बड़े आदर से कहा,
“मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भव्य स्वागत के लिए धन्यवाद देता हूँ।”
कूटनीति में इसे कहते हैं – “हथियार साथ रखो, लेकिन मुस्कान पहले दिखाओ।”
मोदी मंत्र: “SCO = Security, Connectivity, Opportunity”
PM मोदी ने SCO की परिभाषा फिर से दी — SCO मतलब: सिक्योरिटी, कनेक्टिविटी और अपॉर्चुनिटी।
सुनते ही डिक्शनरी वालों ने नोटबुक निकाल ली।
जब मंच मिलता है, तो मोदी जी केवल बोलते नहीं — वो “ब्रॉडकास्ट” करते हैं
PM मोदी का SCO समिट वाला भाषण न सिर्फ़ UN सुधार की मांग थी, बल्कि ग्लोबल साउथ के लिए एक बड़ी आवाज़ भी थी।
बात संयुक्त राष्ट्र की पुरानी स्क्रीन से शुरू हुई और आतंकवाद के नए रंगों तक जा पहुंची। कूटनीतिक माइक को माइंड ब्लोइंग बना देना कोई मोदी जी से सीखे!
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