
“तुम्हें PCOD है? ओह, दूध छोड़ दो!” ये वाक्य हर दूसरी डॉक्टर आंटी, आंटीजी डॉक्टर, और इंस्टाग्राम न्यूट्रीशनिस्ट की पहली सलाह होती है। लेकिन क्या वाकई दूध और दही PCOD की जड़ हैं या ये सिर्फ अफ़वाह की मलाई है?
सच क्या है? – हर महिला = अलग बॉडी, अलग डाइट
PCOD कोई वन-साइज-फिट्स-ऑल वाली बीमारी नहीं है। कुछ को डेयरी से फर्क पड़ता है, कुछ को बिल्कुल नहीं। जब तक आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस, डेयरी एलर्जी, या इससे संबंधित कोई दिक्कत नहीं है — तब तक दूध और दही आपकी दोस्त ही हैं, दुश्मन नहीं।
दूध-दही छोड़ना क्यों ग़लत हो सकता है?
डेयरी से मिलता है:
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प्रोटीन – हॉर्मोन बनाने के लिए ज़रूरी
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कैल्शियम – हड्डियों के लिए जरूरी, खासकर जब पीरियड्स फुल फ्लॉप हों
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विटामिन D – मूड और मेटाबॉलिज्म दोनों के लिए बूस्टर
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विटामिन B12 – थकावट से छुटकारा दिलाने वाला
“PCOD का इलाज डॉक्टर से लो, अफ़वाहों से नहीं।”
“घर की बनी दही” = हेल्थ का ‘देसी इंश्योरेंस’
प्रोबायोटिक्स से भरपूर दही आपके पेट को खुश रखता है, और जब पेट खुश, तो हॉर्मोन खुश। बाहर के मार्केट वाले चीनी भरे फ्लेवर दही से बचें और मम्मी के हाथ की खट्टी-मीठी दही अपनाएं।
कब डेयरी छोड़ना चाहिए? (ड्रामा नहीं, डेटा के आधार पर)
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लैक्टोज इन्टॉलरेंस = तुरंत अलविदा बोले दूध को
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डेयरी से स्किन ब्रेकआउट या भारीपन
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पेट दर्द, गैस या दस्त के साइड इफेक्ट्स
“अगर दही खाने के बाद पेट बोले – ‘मुझे नहीं खाना था’, तो उसकी बात मानो।”
डेयरी के हेल्दी ऑप्शन्स (जब पेट करे इंकार):
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सोया दूध – प्रोटीन से भरपूर
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बादाम दूध – हल्का और कैल्शियम से लैस
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नारियल दूध – ट्रॉपिकल और कूलिंग
लेकिन ध्यान रहे: ये सभी महंगे हैं और स्वाद दूध जितना नहीं होता
दूध नहीं, गलतफ़हमी को छोड़ो!
हर PCOD केस अलग होता है, और हर सलाह सब पर लागू नहीं होती। अगर आपको डेयरी से कोई समस्या नहीं है, तो डरिए मत – संतुलित मात्रा में दूध, दही, और पनीर आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
“PCOD में डाइट की कुंजी संतुलन है, त्याग नहीं।”
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