पवन सिंह, टच और ‘मर्दाना नज़रिया’ सड़ा है! वो माल नहीं उसमें भी जान है

महिमा बाजपेई
महिमा बाजपेई

भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह का एक वायरल वीडियो फिर से उस सड़ांध को सामने लाया है, जो ‘मर्दानगी’ के नाम पर न केवल फिल्मों में, बल्कि समाज के हर कोने में फैल चुकी है। मुद्दा सिर्फ एक टच का नहीं है। मुद्दा उस सोच का है, जो हर औरत को ‘माल’, ‘वस्तु’, ‘ककड़ी’, ‘टमाटर’ और जाने क्या-क्या समझती है।

स्त्री नहीं, सामान है? ये कहाँ की सोच है!

जब लड़कियों को देखकर आँखें सीधा कमर, नाभि, और स्तनों पर टिक जाती हैं, तो समझिए ये सिर्फ नजर की ग़लती नहीं, सोच की बीमारी है। पवन सिंह जैसे कलाकार उस सोच के फ्रेंचाइज़ी पार्टनर बन जाते हैं जो कहते हैं—“मर्द हूँ, छू सकता हूँ”।

लेकिन, जनाब… “स्त्री की रज़ामंदी के बिना उसे छूना नहीं, घूरना भी यौन उत्पीड़न है!”

पर्दे से लेकर असली ज़िंदगी तक फैलती गंदगी

जब फिल्मों में हर सीन में लड़की को बस शरीर के टुकड़े बनाकर परोसा जाता है, तो यौन हिंसा केवल स्क्रिप्ट में नहीं रुकती। वो स्टेज पर भी दोहराई जाती है, और फिर घर, ऑफिस, बस, ट्रेन में भी।

इस बार पवन सिंह ने अंजलि राघव के साथ जो किया, वह वही सोच थी—“मैं सुपरस्टार हूँ, मुझे हक़ है।”

माफ़ी नहीं, सोच बदलो!

अंजलि ने साफ़ कहा—“ग़ुस्सा आया, रोना आया, समझ नहीं आया क्या करूँ।” यही वो क्षण है जहाँ हर लड़की फँसती है। जब सामने वाला पावर में होता है, जब सामने वाला ‘Powerstar’ होता है, तब लड़कियों को बोलने से डर लगता है। क्योंकि… “अगर बोलेगी, तो इंडस्ट्री से बाहर होगी।”

Consent का मतलब कब समझोगे, मर्दों?

आपके लिए अगर कोई लड़की हँस रही है, आपके साथ दोस्ती में बात कर रही है, तो क्या उसे छूना आपका हक़ बन गया?

NO.

Consent कोई ‘Silent Yes’ नहीं होता। Consent = Clear, Loud, Enthusiastic यस। And without that, every action is a sexual offence.

Touch नहीं, Sexual Harassment कहो इसे!

पवन सिंह का ये टच महज़ एक मासूम हरकत नहीं थी। उंगलियों की हरकत, घूरती नज़रें, और बोलने की भाषा सब कुछ उस मानसिकता की चीख़ती हुई गवाही दे रहे थे जो महिलाओं को इंसान नहीं, ‘Body Parts’ का Puzzle समझती है। “इसे टच मत कहो। ये Sexual Harassment है। नाम लेकर बुलाओ, तभी सिस्टम बदलेगा।”

मर्दों को कौन सी छूट मिली है?

  • क्या आपकी माँ ने कहा था कि लड़कियों को छूना मर्दानगी है?

  • क्या आपके बाप ने सिखाया कि Consent बकवास है?

  • क्या आपके स्कूल ने बताया कि Respect सिर्फ उम्र के लिए होती है, Gender के लिए नहीं?

शायद नहीं।

तो फिर ये ज़हर कहाँ से आया?
बॉलीवुड, भोजपुरी और हर उस स्क्रिप्ट से, जहाँ ‘Hero’ औरत को उठाकर गाड़ी में डालता है और वो गाना शुरू हो जाता है।

भोजपुरी को अलविदा

अंजलि राघव ने कहा है कि वे अब भोजपुरी फिल्मों में काम नहीं करेंगी। क्यों? क्योंकि यहाँ महिलाओं को सिर्फ ‘वस्तु’ समझा जाता है। यही होता है जब मर्दाना वर्चस्व और ‘Powerstar’ जैसी उपाधियाँ कलाकारों को उत्पीड़क बना देती हैं।

तो अब क्या किया जाए?

  1. हर ‘टच’ को मज़ाक मत समझो।

  2. Consent की शिक्षा स्कूल में अनिवार्य बनाओ।

  3. फिल्मी सेंसर बोर्ड को स्त्री सम्मान का पाठ पढ़ाओ।

  4. जो यौन उत्पीड़न करे, उसका नाम लो—शर्माओ मत।

  5. भोजपुरी या किसी इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए Safe Environment बनाओ।

“जब तक तुम्हारा Touch किसी की इज़्ज़त को छूता है, तब तक तुम्हारे हाथों में ‘पावर’ नहीं, अपराध है।”

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