पटना में घर के अंदर नर्स के दो मासूमों को जिंदा जलाया

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार की राजधानी पटना में अपराध की भयावह तस्वीर सामने आई है। जानीपुर थाना क्षेत्र में बदमाशों ने एक एम्स नर्स के दो मासूम बच्चों को घर में घुसकर जिंदा जला दिया। इस अमानवीय घटना ने न सिर्फ पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है, बल्कि बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्कूल से लौटते ही जलाकर मार डाला

पीड़ित नर्स शोभा देवी, जो पटना एम्स में कार्यरत हैं, अपने पति ललन कुमार गुप्ता और बच्चों के साथ जानीपुर इलाके में रहती हैं।
बुधवार दोपहर करीब 12 से 1 बजे के बीच की घटना है। जब बच्चे अंजली और अंश स्कूल से लौटकर घर पहुंचे, तभी कुछ बदमाश वहां घुस आए और उन्हें कमरे में बंद कर घर में आग लगा दी
घटना इतनी तेजी से हुई कि पड़ोसी कुछ समझ पाते, दोनों बच्चों की मौके पर ही जलकर मौत हो गई।

पुलिस और FSL टीम जांच में जुटी

सूचना मिलने पर जानीपुर थाना पुलिस और फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) की टीम मौके पर पहुंची। दोनों बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
पुलिस का कहना है कि यह घटना आपसी रंजिश का नतीजा हो सकती है या पूर्व नियोजित साजिश, फिलहाल जांच जारी है।

“हमारे बच्चों ने किसी का क्या बिगाड़ा था?”

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां शोभा देवी और पिता ललन गुप्ता ने कहा:

“ये हादसा नहीं, हत्या है। हमारे बच्चों ने किसी का क्या बिगाड़ा था? स्कूल से लौटे ही थे, आराम भी नहीं कर पाए और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।”

तेजस्वी यादव का हमला: “CM अचेत, अपराधी सचेत!”

घटना पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा:

“पटना में सत्ता संरक्षित अपराधियों ने घर में घुसकर नर्स के दो बच्चों को जलाया। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब घर, कार्यालय, अस्पताल कहीं कोई सुरक्षित नहीं। CM अचेत, बदमाश सचेत!”

सवालों के घेरे में कानून व्यवस्था

इस दर्दनाक वारदात ने एक बार फिर बिहार की कानून-व्यवस्था पर उंगलियां उठा दी हैं।

  • आखिर बदमाश इतनी आसानी से दिनदहाड़े घर में कैसे घुसे?

  • पुलिस गश्त और सुरक्षा व्यवस्था कहां थी?

  • क्या ये कोई पुरानी रंजिश थी या प्लान किया गया मर्डर?

पटना में घटी इस वीभत्स घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यह सिर्फ दो बच्चों की हत्या नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी की चीखती हुई तस्वीर है।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या सरकार और प्रशासन इस केस में त्वरित न्याय दिला पाते हैं या यह भी एक और आंकड़ा बनकर रह जाएगा।

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