एक करोड़ का नक्सली ढेर: जंगल में चला ‘ऑपरेशन सुधाकर’

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले के नेशनल पार्क एरिया में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक बड़ा नाम खत्म कर दिया गया। मारा गया माओवादी कोई और नहीं, बल्कि सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सदस्य तेंतू लक्ष्मी नरसिंहाचलम ऊर्फ गौतम ऊर्फ सुधाकर था — जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम था।

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कैसे हुआ खुलासा?

बीजापुर पुलिस को ख़ुफिया जानकारी मिली कि क्षेत्र में सुधाकर, तेलंगाना राज्य समिति के सदस्य बांदी प्रकाश और दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के माओवादी नेता पप्पा राव सहित कई टॉप नक्सली कैडर मौजूद हैं। इसके बाद DRG, STF और COBRA बलों की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया:

“मुठभेड़ में शुरुआती सफलता मिली है। नेशनल पार्क क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है।”

सिर्फ सुधाकर नहीं…

इससे पहले मई 2025 में भी वसवराजू नामक महासचिव समेत 27 माओवादियों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया गया था। वहीं गरियाबंद ज़िले में एक और केंद्रीय समिति सदस्य चलपति भी ढेर हुआ। अब सुधाकर की मौत को नक्सल विरोधी मुहिम की एक और बड़ी जीत बताया जा रहा है।

माओवाद मिटाने की डेडलाइन

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक देश से माओवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। इसके बाद से ही छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं।

आंकड़ों की ज़ुबानी

पिछले डेढ़ सालों में पुलिस 550 से अधिक माओवादियों को मारने का दावा कर चुकी है। लेकिन इसके साथ कई मानवाधिकार संगठनों ने इन मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच की मांग भी उठाई है।

जंगल की सियासत या सरकारी स्कोरकार्ड?

हर मुठभेड़ के बाद सरकार एक और “जीत” गिनती है — लेकिन क्या इस ‘ऑपरेशन’ की स्क्रिप्ट एकतरफा है? सुधाकर मरा जरूर, मगर सवाल अभी भी ज़िंदा हैं — ये जंगल सिर्फ बारूद से नहीं, भरोसे से भी शांत होंगे।

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