ओ तेरी ! कोलंबिया में रह कर ही उसकी रेल बना दी आतंक पर थरूर ने

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर दुनिया में फैले भ्रम को दूर करने के लिए एक भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल कोलंबिया पहुंचा। इस डेलिगेशन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शशि थरूर ने अहम भूमिका निभाई।

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थरूर का दो टूक जवाब: आतंकियों पर शोक क्यों?

कोलंबिया की सरकार द्वारा पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों की मौत पर शोक व्यक्त करना भारतीय प्रतिनिधिमंडल को खटक गया। शशि थरूर ने कोलंबिया की सरकार से साफ कहा:

“आतंकियों और देश की रक्षा करने वालों में कोई समानता नहीं हो सकती।”

थरूर ने यह भी जोड़ा कि कोलंबिया को असली पीड़ितों — पहलगाम आतंकी हमले के शिकार निर्दोष लोगों — के प्रति सहानुभूति जतानी चाहिए थी।

भारत की मंशा स्पष्ट: शांति, लेकिन आत्मरक्षा भी

शशि थरूर ने मीडिया से बात करते हुए स्पष्ट किया कि भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना शांति चाहता है। उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत ने किसी से मध्यस्थता नहीं मांगी।

ऑपरेशन की पृष्ठभूमि: TRF की ज़िम्मेदारी और पाकिस्तान लिंक

थरूर ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू किया गया था। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा (LET) से जुड़ा है।

संवाद से समाधान की कोशिश

थरूर ने कहा:

“अगर कोलंबिया को स्थिति पूरी तरह समझ में नहीं आई थी, तो हम संवाद के लिए यहां हैं।”

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल आत्मरक्षा का एक ज़रिया था, न कि आक्रामकता का प्रदर्शन।

आतंक के खिलाफ भारत का स्पष्ट रुख

इस पूरे घटनाक्रम में भारत ने वैश्विक मंच पर एक बार फिर अपनी स्थिति स्पष्ट की है — आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाना। शशि थरूर के नेतृत्व में यह डिप्लोमैटिक मिशन भारत की दृढ़ विदेश नीति की मिसाल बना।

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