
अब धरती की हर हलचल — चाहे भूकंप हो, ग्लेशियर पिघलें या जंगल सिमटें — सबका डेटा अब ISRO और NASA की जोड़ी के पास जाएगा! 7 नवंबर 2025 से NISAR Satellite ने आधिकारिक रूप से काम शुरू कर दिया है।
30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ यह मिशन अब धरती का डिजिटल सीसीटीवी कैमरा बन चुका है।
क्या है NISAR? — “दो देशों की, एक मिशन कहानी”
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) एक जॉइंट प्रोजेक्ट है — जहां भारत ने लगाया S-बैंड रडार, और अमेरिका ने जोड़ा L-बैंड रडार। दोनों मिलकर धरती की अल्ट्रा-हाई रिज़ॉल्यूशन इमेजेस भेजेंगे — मतलब, अब बादलों के पीछे क्या चल रहा है, वो भी छिप नहीं सकेगा!
NISAR Satellite की खासियतें (जो इसे ‘सुपर सैटेलाइट’ बनाती हैं):
- कुल वजन: 2400 किलो
- 12 मीटर एंटीना जो स्पेस में खुलकर धरती पर “360° विज़न” देगा
- हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी का स्कैन
- डेटा रहेगा पब्लिक के लिए फ्री
- रेंज: 240 किमी चौड़ाई तक की कवरेज
- ऑपरेशनल लाइफ: 5 साल (या उससे ज़्यादा)
क्या-क्या देखेगा NISAR? – “Space का Weather Reporter”
NISAR से वैज्ञानिक अब जान पाएंगे:
- भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन की शुरुआती गतिविधियां
- बर्फबारी, बर्फ पिघलना और समुद्री तूफान
- जंगलों में कार्बन रेगुलेशन और बायोमास
- खेती और मिट्टी में नमी की स्थिति
- क्लाइमेट चेंज के असर से जुड़े पैटर्न
यह सैटेलाइट धरती का ऐसा डेटा भेजेगा, जो अब तक किसी और मिशन से नहीं मिला। एक तरह से, NISAR अब पृथ्वी का “रियल-टाइम MRI स्कैनर” बन चुका है।
L-बैंड vs S-बैंड रडार — दो आंखें, दो विज़न
L-बैंड (NASA): घने जंगलों, मिट्टी और बर्फ के नीचे तक की जानकारी दे सकता है।
S-बैंड (ISRO): खेती, घास के क्षेत्र और सतह की सूक्ष्म डिटेल्स पकड़ता है।
दोनों रडार 24×7, दिन-रात, बादलों और बारिश के बीच भी काम कर सकते हैं।
यानि “नो ब्रेक, ऑनली डेटा!”
भारत की सीमाओं पर भी ‘नज़र’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, NISAR की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग से हिमालयी ग्लेशियरों की निगरानी और चीन-पाकिस्तान सीमा की भूगर्भीय गतिविधियों की जानकारी भी मिल सकेगी। मतलब, यह मिशन सिर्फ साइंस नहीं, स्ट्रेटेजिक सेक्योरिटी में भी गेम-चेंजर है।

भारत के लिए क्यों है खास?
ISRO का कहना है — “NISAR मिशन से हमें प्लानिंग, कृषि, मौसम और जलवायु में स्पेस इनपुट्स का बेहतर लाभ मिलेगा।”
यह उपग्रह बादलों और अंधेरे में भी तस्वीरें ले सकता है, जिससे यह देश के लिए सबसे एडवांस्ड अर्थ-इमेजिंग मिशन बन गया है।
आगे की प्लानिंग: गगनयान और इंडियन स्पेस स्टेशन
ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि अब ध्यान गगनयान मिशन पर है — जनवरी 2026 में इसका पहला मानव-रहित टेस्ट होगा।
इसके बाद भारत 2028 तक अपना खुद का स्पेस स्टेशन भी लॉन्च करेगा — जहां तीन से चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक रह सकेंगे।
अब धरती बोलेगी — “कृपया मुझे Zoom Out मत करो, NISAR देख रहा है!”
ISRO और NASA की यह जोड़ी अब सैटेलाइट वर्ल्ड की ‘RRR’ बन चुकी है — Radar, Research, Revolution!
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