
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा की जाती है और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नाग पंचमी का संबंध महाभारत काल से है। यह मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में भय से सुरक्षा मिलती है। खेतों और फसलों की रक्षा के लिए भी नागों की आराधना की जाती है।
पूजा विधि – क्या करें आज के दिन?
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प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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घर के मुख्य द्वार या दीवार पर हल्दी और गोबर से नाग की आकृति बनाएं।
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दूध, फूल, कुशा, अक्षत और दूर्वा से नागों की पूजा करें।
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“ॐ नमः नागाय” मंत्र का जाप करें।
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व्रत रखें और दिनभर सात्विक भोजन करें।
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मिट्टी या चांदी के नाग की मूर्ति का पूजन कर गरीबों को दान दें।
क्या न करें नाग पंचमी पर?
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जमीन में खुदाई या हल चलाना मना है।
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दूध को ज़्यादा मात्रा में ज़मीन पर बहाना उचित नहीं।
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सांपों को पकड़कर दिखाना या डराना वर्जित है।
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मांसाहार और नशीली चीज़ों से परहेज करें।
धार्मिक महत्व
नाग पंचमी केवल सांपों की पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति के उस संतुलन को मान्यता देने का पर्व है जिसमें सभी जीव-जंतुओं का स्थान है। इस दिन हमें यह याद रखना चाहिए कि सर्प भी धरती की रक्षा करने वाले जीव हैं।
नाग पंचमी सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि आस्था, प्रकृति-संरक्षण और संतुलित जीवन की प्रेरणा है। इस दिन नाग देवता की कृपा पाने के लिए श्रद्धा और संयम दोनों का पालन करें।
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