
बिहार की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है- “मुकेश सहनी नाराज़ हैं या सिर्फ नखरे दिखा रहे हैं?”
महागठबंधन की हालिया बैठक में नज़रें सबकी तेजस्वी पर थीं, लेकिन सुर्खियों में आ गए सहनी जी — जो खुद तो दिल्ली में थे, लेकिन 60 सीटों की चिट्ठी पटना में छोड़ गए।
VIP पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी की ये मांग सुनकर गठबंधन में ऐसा लगा जैसे शादी में DJ बंद हो गया हो — सब झूम रहे थे, अचानक माहौल सीरियस हो गया।
तेजस्वी की चुनौती: सीट बंटवारे में ‘हर किसी को खुश रखें’ मिशन
तेजस्वी यादव के लिए गठबंधन चलाना अब एक पारिवारिक ड्रामा से कम नहीं। हर पार्टी कुछ ज़्यादा ही मांग रही है — और अब मुकेश सहनी ने तो सीधा 60 सीटें मांग ली हैं, यानी “VIP पार्टी नहीं, VVIP डिमांड्स!”
तेजस्वी सोच में पड़ गए हैं — “अगर सबको 60 सीट दे दूं तो बचेंगी कितनी मेरे लिए?”
सहनी की ‘दिल्ली यात्रा’: नाराज़गी या राजनीतिक स्ट्रैटेजी?
बैठक के दिन सहनी जी दिल्ली में थे। उनके पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “पारिवारिक कारण से बाहर हैं।” पर राजनीति में जब कोई “पारिवारिक कारण” बताए, तो समझ जाइए… कुछ तो पक रहा है!
अब कयास ये हैं कि क्या सहनी को यह भनक लग चुकी है कि 60 सीटें मिलनी नहीं — इसलिए वो प्लान B पर काम कर रहे हैं? और प्लान B का नाम है… एनडीए!
एनडीए का ओपन ऑफर: ‘आइए, निषाद समाज को संभालिए’
उधर एनडीए भी रेड कारपेट बिछाकर तैयार बैठा है। जीतन राम मांझी खुद कह रहे हैं — “निषाद समाज का कल्याण सिर्फ एनडीए कर सकता है।”
(बाकी सब तो बस गठबंधन का ख्वाब दिखा रहे हैं।)
बीजेपी पहले ही सहनी के चार विधायक उड़ा चुकी है। यानी “जो पार्टी दूसरों की नाव चलाती थी, आज खुद बहाव में है।”
सियासी ट्रेलर जारी है, इंटरवल के बाद असली फिल्म बाकी है!
तेजस्वी यादव अब ऐसे मोड़ पर हैं जहां उन्हें हर सहयोगी की मर्जी, नाराज़गी और महत्वाकांक्षा को Excel शीट में एडजस्ट करना पड़ रहा है।
वहीं मुकेश सहनी अभी चुप हैं, लेकिन राजनीति में चुप्पी का मतलब हमेशा शांति नहीं होता — कभी-कभी ये “बड़े धमाके से एंट्री” की तैयारी होती है।
2025 का चुनाव एक सीरियल की तरह है — हर दिन नया ट्विस्ट, हर नेता एक नया किरदार!
मुकेश सहनी का अगला कदम क्या होगा? गठबंधन में रहेंगे या फिर “निषाद मतदाता” को साथ लेकर NDA की नाव पर सवार हो जाएंगे?
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