मोदी जी, जम्मू-कश्मीर को “अपग्रेड” करिए… प्लान में लद्दाख भी जोड़िए

अजमल शाह
अजमल शाह

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक भावुक लेकिन संविधान सम्मत चिट्ठी लिखी है – जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य बनाने और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है।

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चिट्ठी में संविधान की धाराएं थीं, चिंता का इज़हार था, और एक प्यारा सा “कृपया संसद में बिल लाएं” जैसा निवेदन भी था।

छठी अनुसूची या फिर ‘लद्दाख 2.0’?

राहुल गांधी की चिट्ठी में सिर्फ जम्मू-कश्मीर नहीं, लद्दाख भी VIP ट्रीटमेंट में शामिल था। उन्होंने संविधान की अनुच्छेद 244 और छठी अनुसूची का हवाला देते हुए कहा कि लद्दाख को भी थोड़ा “स्वायत्तता” वाला स्वाद दिया जाए।

यानि लद्दाख को मिलने वाली स्वायत्तता अब सिर्फ बर्फीली वादियों में नहीं, विधानसभा में भी बहार लाए।

सोनम वांगचुक का अनशन और दिल्ली की ‘नींद’

याद दिला दें, पिछले साल लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी अनशन पर बैठे थे। उनकी मांग भी यही थी – “हमें केवल ग्लेशियर नहीं, गवर्नेंस भी चाहिए।” लेकिन सरकार ने उन्हें देखकर शायद यही सोचा – “इतनी ठंड में भूखा बैठा है, टाइमपास कर रहा होगा!”

अनुच्छेद 370: ‘डिलीट’ बटन दबाना तो आसान था, अब ‘रीस्टोर’ कौन करेगा?

पाँच अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया गया था, तब इसे दो हिस्सों में बांट दिया गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
अब कांग्रेस कह रही है – “ठीक है, खूब एक्सपेरिमेंट किया, अब रीस्टोर बटन भी दबा दो।”

लगता है देश में राज्य का दर्जा अब स्मार्टफोन ऐप्स की तरह हो गया है – इंस्टॉल, अनइंस्टॉल और कभी-कभी अपग्रेड!

संसद का मानसून सत्र: ‘बिल’ फॉरवर्ड किया जाएगा या फिर ‘बिलकुल नहीं’?

अब गेंद प्रधानमंत्री मोदी के पाले में है। कांग्रेस ने सत्र शुरू होने से पहले ही “प्री-बिल नोटिफिकेशन” जारी कर दिया है। देखना ये है कि पीएम मोदी इसे गंभीरता से लेते हैं या फिर “आपका पत्र प्राप्त हुआ, ध्यान देंगे” वाला क्लासिक जवाब आता है।

जरा सोचिए – जब राज्य की हैसियत भी ‘प्राइम मेंबरशिप’ जैसी हो जाए…

आज लद्दाख स्वायत्तता मांग रहा है, कल कोई और केंद्र शासित प्रदेश बोलेगा – “हमें भी छठी अनुसूची दो।”
कहीं ऐसा न हो कि अगली बार किसी केंद्र शासित प्रदेश के लिए वोटर ID के साथ “सब्सक्रिप्शन प्लान” भी भरना पड़े!

राज्य का दर्जा, संविधान की आत्मा है। इसे बहाल करना सिर्फ राजनीतिक फैसला नहीं, एक जनादेश की इज्जत है। अब देखना है – संसद में इस मांग को सीरियसली लिया जाएगा या सिर्फ “रीड एंड आर्काइव” कर दिया जाएगा।

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