मनसे मोर्चा रोका गया, फडणवीस बोले – महाराष्ट्र में सबको इजाज़त मिलती है

भोजराज नावानी
भोजराज नावानी

मीरा भयंदर में भाषा विवाद को लेकर मनसे (MNS) के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन का एलान किया था। मगर मोर्चा शुरू होने से पहले ही पुलिस ने कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

अब इसमें नाटकीयता तब आई जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपना रुख साफ करते हुए कहा:

“महाराष्ट्र लोकतांत्रिक राज्य है, कोई भी मोर्चा निकाल सकता है — पर इजाज़त लेकर और सही रूट पर!

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रूट की जिद या लोकतंत्र का हनन?

फडणवीस ने बताया कि पुलिस ने मनसे को रूट बदलने को कहा, ताकि यातायात और भगदड़ से बचा जा सके।
पर मनसे वालों का कहना है — “हम तो इसी रूट पर चलेंगे!”

अब लोकतंत्र का अर्थ है — विचारों की आज़ादी,
पर ट्रैफिक पुलिस का अर्थ है — जहां से कहा जाए, वहीं से गुज़रो!

“मराठी आदमी छोटा नहीं सोचता” – CM ने दिया भावनात्मक पंच

फडणवीस ने कहा कि मराठी मानस बड़ा दिल वाला होता है, और इतिहास गवाह है कि जब भारत पर आक्रमण हुआ, तब मराठी ने सिर्फ महाराष्ट्र नहीं, पूरे देश को देखा।

“इस तरह के प्रयोग यहां नहीं चलेंगे।” – फडणवीस का अप्रत्यक्ष कटाक्ष

यानि राजनीति में भी “पथ बदलो, पर पथभ्रष्ट न होओ!

भाषा विवाद: असली मुद्दा या सियासी हथियार?

यह सवाल बड़ा है — क्या ये भाषा की अस्मिता की लड़ाई है या चुनावी मौसम से पहले पब्लिक सेंटिमेंट पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश?

मनसे का कहना है कि मराठी भाषा को दबाया जा रहा है,
जबकि प्रशासन कह रहा है — “मार्ग के अनुशासन से कोई ऊपर नहीं।”

सियासी ‘सड़क नाटक’ का अगला एपिसोड कब?

मनसे के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेना एक तरह से संदेश है — “भावना ठीक है, लेकिन परफॉर्मेंस पब्लिक रोड पर नहीं, परमीशन से ही हो!”

सड़क पर आंदोलन से पहले नक्शा देख लें!

मीरा भयंदर विवाद ने एक बात फिर से साफ कर दी — राजनीति में भावना ज़रूरी है, लेकिन प्रशासन में दिशा ज़्यादा ज़रूरी है।

मराठी मानस चाहे जितना दिलदार हो, GPS के बिना मोर्चा मंज़िल पर नहीं पहुंचेगा।

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