
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने आज से शुरू हो रहे यूपी विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर एक संतुलित लेकिन सशक्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने की नसीहत दी है।
“राजनीतिक स्वार्थ छोड़िए, रचनात्मक बहस कीजिए”
मायावती ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा:
“यह सत्र संक्षिप्त जरूर है, लेकिन इसे सिर्फ औपचारिकता न मानें। इसे प्रदेश और जनहित के लिए एक सकारात्मक अवसर की तरह उपयोग करें।”
उन्होंने आग्रह किया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राजनीतिक द्वेष और कटुता छोड़कर आम जनता से जुड़े मुद्दों पर रचनात्मक बहस करें।
“जनता में असंतोष, संसद में अवरोध का असर”
मायावती ने संसद के चालू मानसून सत्र का भी ज़िक्र किया, जो अक्सर हंगामों की भेंट चढ़ जाता है। उन्होंने कहा:
“महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा न होने से जनता में असंतोष बढ़ रहा है। संसदीय कार्यवाही में अवरोध यह संदेश दे रहा है कि लोकतांत्रिक संस्थाएं आम जनता की आवाज़ नहीं बन पा रहीं।”
अमेरिकी टैरिफ नीति और भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता
मायावती ने अमेरिका की टैरिफ नीति का जिक्र करते हुए इसे सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और विकास की गति से जुड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा:

“इस मुद्दे पर संसद में गंभीर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यह देश के आर्थिक भविष्य के लिए बेहद अहम है।”
EVM और वोटर लिस्ट की पारदर्शिता ज़रूरी
मायावती ने चुनावों से पहले उठ रही आशंकाओं का ज़िक्र करते हुए EVM और वोटर लिस्ट की समीक्षा पर जोर दिया। उन्होंने लिखा:
“लोकतंत्र में आम नागरिक का विश्वास बना रहे, इसके लिए पारदर्शिता और समयबद्ध समाधान बेहद ज़रूरी हैं।”
राजनीति से ऊपर उठें, जनहित को प्राथमिकता दें
मायावती का बयान एक तरफ जहां सत्ता पक्ष को ज़मीन से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देता है, वहीं विपक्ष को भी सिर्फ विरोध की राजनीति से ऊपर उठने की याद दिलाता है। उनका संदेश स्पष्ट है — जनता की बात करें, लोकतंत्र को मज़बूत करें।