
“कभी गुफाओं में छिपे थे, अब कैमरे के सामने ज्ञान बघारते हैं — ये छांगुर नहीं, चमत्कारी गिरावट है!”
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर अपने चुटीले अंदाज़ में बड़ा बयान दिया है। इस बार उनका निशाना बने हैं विवादित बाबा छांगुर, जिन्हें लेकर हाल के दिनों में मीडिया और सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है।
केशव मौर्य का तंज: “कमल न खिला होता, तो ऐसे बाबा और उग आते”
केशव मौर्य ने कहा – “अगर कमल का फूल न खिला होता, डबल इंजन की सरकार न बनी होती, तो पता नहीं कितने और छांगुर बाबा अभी पैदा होते। जो पाताल में छिपे थे, वे अब बाहर आ रहे हैं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मोदी युग का असर है कि समाज में छिपे हुए ढोंगी, फर्जी और कथित आध्यात्मिक चेहरे अब जनता की नज़र में आने लगे हैं।
मोदी सरकार का “सफाई अभियान” जारी है!
“पहले सफाई सड़कों की थी, अब सफाई हो रही है सोच और समाज की…”
डिप्टी सीएम का यह बयान सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की आलोचकों को जवाब की तरह देखा जा रहा है। मौर्य ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ सड़कें और एक्सप्रेसवे ही नहीं बना रही, बल्कि समाज में छिपे पाखंडियों को भी उजागर कर रही है।
छांगुर बाबा कौन हैं और क्यों हैं चर्चा में?
छांगुर बाबा इन दिनों सोशल मीडिया पर अपनी विवादास्पद बातों और भक्तों के अंधभक्ति वाले वीडियो के चलते सुर्खियों में हैं। उन पर अवैज्ञानिक दावे, अजीबोगरीब हरकतें और धार्मिक मूल्यों का उपहास उड़ाने जैसे आरोप लगे हैं।
जनता से अपील: “भक्ति करें, लेकिन आंख मूंदकर नहीं”
“सच को देखिए, आंखें खोलिए, बाबा के चमत्कार से थोड़ा दूर हो लीजिए।”
केशव मौर्य ने जनता से आग्रह किया कि वे आस्था और अंधश्रद्धा में फर्क करें। उन्होंने कहा कि समाज को जागरूक बनाने का कार्य सरकार कर रही है, लेकिन जनता की सजगता भी जरूरी है।
छांगुर बाबा अब सिर्फ एक सोशल मीडिया कैरेक्टर नहीं रहे। वे अब उस विमर्श का हिस्सा बन चुके हैं जहाँ राजनीति, धर्म, आस्था और आधुनिक विवेक की टकराहट दिख रही है। केशव मौर्य का बयान इसी टकराव को राजनीतिक संदर्भ देता है और साफ करता है कि मोदी युग में ना ढोंग चलेगा, ना दिखावा।
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