इंस्टाग्राम पर LIVE और फिर मौत! प्यार से शादी की, टॉर्चर से जान गई…

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

लखनऊ की एक युवती, सौम्या उर्फ तनु, ने बीते दिन सोशल मीडिया पर इंस्टाग्राम LIVE करते हुए फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वीडियो में वह अपने आंसुओं के साथ, पति और ससुरालवालों पर गंभीर आरोप लगाती है। उसने सिस्टम, कानून, और पुलिस प्रशासन की नाकामी को उजागर किया—वो सिस्टम जो “बेटी बचाओ” के नारे तो लगाता है, पर उसकी पुकार सुनता नहीं।

पुलिसिया तंत्र के खिलाफ LIVE चार्जशीट

सौम्या के आरोप सीधे यूपी पुलिस के उस तंत्र पर हैं जिसमें उसका पति अनुराग सिंह एक सिपाही है। सौम्या ने बताया कि थाने से लेकर कप्तान साहब तक सबको शिकायत की, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। बल्कि जब थाने से लौटी, तो उसे दोबारा पीटा गया।

“मैं थाने में शिकायत करने गई, कप्तान साहब से मिली, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पति बोला – मैं पुलिस में हूं, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

“इंस्टाग्राम LIVE: जहां मौत ने दस्तक दी, और सिस्टम चुप रहा”

वीडियो में सौम्या कहती है:

“मेरे मरने के बाद मेरी एक ही प्रार्थना है योगी जी और मोदी जी से – इन लोगों को छोड़ा न जाए। ये दरिंदे हैं। मैं थक गई हूं। मैं मर रही हूं इन्हीं लोगों की वजह से।”

उसकी आंखों में आंसू थे, आवाज़ कांप रही थी, लेकिन शब्दों में वो क्रांति थी, जो इस व्यवस्था की नींव को हिला सकती थी… अगर सुनने वाला कोई होता।

“सिपाही का परिवार या गैंग?”

सौम्या ने अपने पति के जीजा (PAC पुलिस, रायबरेली में तैनात), और एक वकील देवर पर भी मानसिक प्रताड़ना और हत्या की योजना बनाने के आरोप लगाए।

“ये लोग कहते हैं – इसे मार दो, हम वकील हैं बचा लेंगे। इसको मार दो और दूसरी शादी कर लो।”

यह सिर्फ दहेज प्रताड़ना नहीं थी, यह सत्ता, वर्दी और पितृसत्ता का गंदा गठजोड़ था, जिसमें एक और बेटी ने दम तोड़ दिया।

“क्या सौम्या को न्याय मिलेगा?”

इस सवाल का जवाब वही सिस्टम देगा, जो अब तक चुप रहा है। यूपी सरकार, पुलिस और कानून व्यवस्था पर यह एक खुली चुनौती है – क्या सौम्या की चीखें सिस्टम के कानों तक पहुंचेंगी?

सौम्या अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके आखिरी शब्द सोशल मीडिया पर वायरल हैं, गूंज रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।

ये सिर्फ एक सुसाइड नहीं, समाज और सिस्टम पर तमाचा है

सौम्या की आत्महत्या एक “आत्महत्या नोट” नहीं, एक लाइव चार्जशीट है—सिस्टम के प्रति, कानून के प्रति और उस समाज के प्रति जो बेटियों की आह सुनना भूल गया है।

अब देखना ये है कि सौम्या की जान लेने वाले बचे रहेंगे या “बेटी बचाओ, न्याय दिलाओ” का नारा सिर्फ वॉल पोस्टर तक ही रहेगा।

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