रेट्रो रिव्यू- लव इन शिमला : जब नज़रें मिलीं तो रशियन भी मदहोश हो गए

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

1960 में आई “लव इन शिमला”, कोई साधारण फिल्म नहीं थी—यह वो मोड़ था जहाँ साधना की आंखें, जॉय की स्माइल, और शिमला की वादियां मिलकर रोमांस का तूफान ले आईं।

निर्देशक आरके नैयर और निर्माता शशाधर मुखर्जी ने फिल्मालय के बैनर तले एक ऐसी रचना की जो उस दौर की लड़कियों को चूड़ी पहनने और लड़कों को टाई बाँधने पर मजबूर कर गई।

साधना का डेब्यू: चश्मे के पीछे का चमत्कार

फिल्म में साधना ने ‘सोनिया’ का किरदार निभाया—एक लड़की जिसे उसकी सौतेली माँ और चचेरी बहन ताने मार-मारकर मेकओवर की ओर धकेल देती हैं। लेकिन जब मेकओवर होता है, तो सामने आती है बॉलीवुड की सबसे मशहूर “Sadhana Cut”

जी हां, बालों से लेकर चाल तक, सोनिया ऐसी बदली कि देव कुमार (जॉय मुखर्जी) के होश उड़ गए… और शीला की साजिशें हवा हो गईं।

म्यूज़िक: रफ़ी साहब की आवाज़, राजेंद्र कृष्ण का जादू

मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले, सुमन कल्याणपुर, और मुकेश—जैसे प्लेलिस्ट में भगवान खुद गाने गा रहे हों।
 “दिल थाम चले हम आज किधर”,
 “लव का मतलब है प्यार”,
 “गाल गुलाबी किसके हैं” – सब सॉन्ग आज भी रेडियो रेट्रो का ताज हैं।

राजेंद्र कृष्ण के बोल और हल्का-फुल्का संगीत इसे उस दौर का “Yashraj before Yashraj” बना देता है।

सोवियत कनेक्शन: सिर्फ इंडिया में ही नहीं, रूस में भी छाया प्यार

भारत में तो फिल्म हिट हुई ही, लेकिन असली सरप्राइज़ तब आया जब 1963 में सोवियत संघ में रिलीज़ हुई। 35 मिलियन दर्शकों ने फिल्म देखी – यानी साधना और जॉय की कैमिस्ट्री रूस तक रेड हॉट रही! यह फिल्म सोवियत यूनियन की टॉप 20 सबसे ज्यादा देखी गई भारतीय फिल्मों में शामिल है।

ह्यूमर, सस्पेंस और थप्पड़-स्वैग: सब कुछ एक ही पैकेज में

“लव इन शिमला” सिर्फ रोमांस नहीं थी, इसमें वो बॉलीवुड मसाला था जो आज की फिल्मों में CGI से भी नहीं आता।

  • रिश्तों की राजनीति

  • चाय-समोसे में छुपा ड्रामा

  • और वो क्लासिक थप्पड़ जो कहानी को मोड़ देता है!

बॉक्स ऑफिस: फिल्म जो जनता के दिल में बस गई

1960 की 5वीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म, जिसने ₹1.7 करोड़ कमाए — उस समय के हिसाब से ये अवेंजर्स एंडगेम ही थी।

“सोनिया का मेकओवर देख Dev ने जब कहा ‘Love का मतलब है प्यार’ तो शीला बोली – ‘And breakup ka मतलब?’”

“जनरल राजपाल सिंह के डिसिप्लिन में पली सोनिया, जब इंडिपेंडेंट होकर आई, तो भारत ही नहीं रूस भी उसके प्यार में पड़ गया।”

“लव इन शिमला” — ये सिर्फ फिल्म नहीं, पुरानी यादों का बर्फीला झोंका है

साधना की मासूमियत, जॉय की शरारत, और शिमला की वादियों में गूंजता “दिल थाम चले हम” — अगर आपने इसे अब तक नहीं देखा, तो Netflix मत ढूंढिए, YouTube पर खोजिए और Retro दुनिया में खो जाइए!

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