कुट्टू vs सिंघाड़ा आटा: व्रत में कौन है हेल्थ का असली चैंपियन?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ
स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. आशुतोष दुबे

नवरात्रि आते ही WhatsApp ग्रुप्स और किचन के कोने में एक पुराना सवाल फिर से सिर उठाता है- “आज कुट्टू बनाएं या सिंघाड़ा?”
सास कहती हैं: कुट्टू ताक़त देता है, बहू कहती है: सिंघाड़ा हल्का पड़ता है! और हम बीच में फंसे हैं — पेट को भी खुश रखना है और व्रत के नियमों का पालन भी करना है।

कुट्टू का Attitude – गर्म मिज़ाज और हाई प्रोटीन!

कुट्टू (Buckwheat) असल में अनाज नहीं बल्कि बीज है — थोड़ा चना जैसा, लेकिन गुणों में जबरदस्त!

इसमें होता है- मैग्नीशियम, प्रोटीन, आयरन और B-विटामिन्स की भरमार। ग्लूटेन फ्री – तो पेट बोले Yay! तासीर? थोड़ी गर्म — मतलब ठंड में इसे खाना बवाल है, लेकिन गर्मी में थोड़ा सोचना पड़ेगा। कमजोरी: ज़्यादा पुराना हुआ तो ज़हर! फ्रिज़ करो या जल्दी खाओ वरना फूड पॉइज़निंग का व्रत बन जाएगा।  कुट्टू में कार्ब्स सिंघाड़े से थोड़े ज़्यादा होते हैं, पर प्रोटीन की बात करें तो यह बाज़ी मारता है।

सिंघाड़ा – पानी में पैदा हुआ Rockstar!

सिंघाड़ा कोई आम फल नहीं — यह जलजला सुपरफूड है! अंदर से सफेद, बाहर से क्रंची और Nutrition में है भारी। कैल्शियम, फाइबर, आयरन और थोड़ा-बहुत प्रोटीन। तासीर ठंडी — तो पेट कहे “थैंक यू!” खासकर गर्मी के व्रत में। पचाने में आसान, हल्का-फुल्का, और फ्राई न करें तो डायजेस्टिव सिस्टम को दीपावली लगती है। सिंघाड़े को उबालकर भी खाया जा सकता है, unlike कुट्टू।

Satvik सज़ा या Nutrition Ka Nazaara?

Comparison कुट्टू का आटा सिंघाड़े का आटा
तासीर गर्म ठंडी
पचने में थोड़ा भारी हल्का
पोषण ज़्यादा प्रोटीन ज़्यादा फाइबर
कुकिंग ऑप्शन पूड़ी, पराठा हलवा, रोटी, पकौड़ा
एक्स्ट्रा पॉइंट BP और Cholesterol Friendly Digestive Friendly

कौन जीतेगा दिल और डाइजेशन?

अगर आप व्रत में थोड़ा भारी और एनर्जी-बूस्टिंग खाना चाहते हैं, तो कुट्टू बढ़िया है। लेकिन अगर पेट को आराम देना और व्रत को detox की तरह रखना है, तो सिंघाड़ा है winner material! और हां — दोनों को तला मत कीजिए। वरना व्रत में मिलने वाली “पुण्य” की जगह मिलेगा Acidity + Extra Calories का कॉम्बो पैक।

आटे को 1 महीने से ज़्यादा न रखें, ख़ासतौर पर कुट्टू। फ्रिज़ में रखें ताकि freshness बनी रहे। सिंघाड़े का हलवा दही के साथ खाएं — व्रत भी टेस्टी, पेट भी हैप्पी!

तो अगली बार जब सासू मां पूछें — “क्या बनाऊं आज?”

आप मुस्कुराते हुए कहिए:
“जो पेट से दोस्ती करे, वही सही है — चाहे कुट्टू हो या सिंघाड़ा!”

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