देसाई इज़ बैक! बुकर की रेस में ‘सोनिया-सनी’ संग जबरदस्त एंट्री

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

किरण देसाई, जिनका नाम भारतीय साहित्य की दुनिया में पहले ही बुकर प्राइज़ की वजह से अमर हो चुका है, एक बार फिर इतिहास रचने के क़रीब हैं। उपन्यास ‘The Loneliness of Sonia and Sunny’ के लिए उन्हें 2025 के बुकर प्राइज़ के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है।

19 साल बाद फिर से बुकर की रेस में

2006 में ‘The Inheritance of Loss’ के लिए बुकर जीतने वाली किरण देसाई अब दोबारा उसी मुकाम के पास पहुंची हैं। अगर वह जीतती हैं, तो वे बुकर इतिहास की केवल पांचवीं लेखिका बन जाएंगी जिन्हें दो बार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है।

“यह उपन्यास एक गहन और व्यापक महाकाव्य है,” — बुकर जूरी की टिप्पणी

शॉर्टलिस्ट में कौन-कौन?

इस साल बुकर के लिए 150 से ज्यादा पुस्तकों की एंट्री में से सिर्फ 6 फाइनलिस्ट चुने गए हैं:

  • किरण देसाई (भारत)

  • 3 लेखक अमेरिका से

  • 1 लेखक ब्रिटेन से

  • 1 लेखक हंगेरियन-ब्रिटिश बैकग्राउंड से

‘The Loneliness of Sonia and Sunny’ क्या है खास?

किरण देसाई का नया उपन्यास समकालीन प्रवासी जीवन, पहचान, अकेलापन और आत्म-खोज की गहराइयों में उतरता है। इसकी कहानी पाठकों को गहराई से छूने वाली और सोचने पर मजबूर करने वाली बताई जा रही है।

नतीजा नवंबर में आएगा

विजेता का ऐलान नवंबर 2025 में किया जाएगा। अगर देसाई जीतती हैं, तो ये एक ऐतिहासिक वापसी होगी — न सिर्फ उनके लिए बल्कि भारतीय साहित्य के लिए भी।

इससे पहले क्या हुआ?

2025 में ही, भारतीय लेखिका बानू मुश्ताक़ और अनुवादक दीपा भास्ती ने लघुकथा ‘Heart Lamp’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीता था — जो भारतीय लेखन के लिए एक और बड़ी उपलब्धि रही।

भारत का साहित्यिक दबदबा इंटरनेशनल मंचों पर लगातार बढ़ रहा है, महिला लेखिकाओं का उभरता प्रभाव। बुकर जैसे प्रतिष्ठित मंच पर दो बार शॉर्टलिस्ट होना आसान नहीं।

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