
तेलंगाना की राजनीति में एक ऐसा ट्विस्ट आया है जिसे टीवी सीरियल वाले भी कॉपी करना चाहें — जब खुद पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने अपनी ही बेटी के कविता को भारत राष्ट्र समिति (BRS) से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पार्टी बनाम परिवार: कौन भारी?
पार्टी कह रही है कि कविता का व्यवहार पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचा रहा था। लेकिन पॉलिटिकल गॉसिप ये कहती है कि “पापा को बेटी के तीखे सवाल भारी पड़ गए!”
कविता की ‘विद्रोही कविता’!
कविता पिछले कुछ समय से पार्टी के काम करने के तरीकों पर सवाल उठा रही थीं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।
TBGKS अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही उनके तेवर बदल गए थे।
“बिना बताए चुनाव कराना कानून का उल्लंघन है!”
के कविता का बयान
अब सवाल उठता है — क्या यह ‘लोकतांत्रिक असहमति’ थी या फैमिली ड्रामा सीज़न 2?
KCR का मास्टरस्ट्रोक या पॉलिटिकल रिस्क?
KCR ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब पार्टी को एकजुट रहने की सख्त ज़रूरत थी। लेकिन क्या ये निर्णय पार्टी को मजबूती देगा या अंदरूनी टूट को बढ़ाएगा?

एक तरफ KCR की इमेज मजबूत नेता की बन रही है, लेकिन दूसरी तरफ ये सवाल भी उठ रहा है — “क्या अब BRS का मतलब है: Bapu Rao Sangathan?”
अब कविता क्या करेंगी? राजनीति या कविता?
अब जब परिवार से ही दूरी बन गई है, तो क्या कविता अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगी? या किसी विरोधी खेमे में शामिल होंगी?
अंदरखाने की खबरें कहती हैं कि कुछ पुराने असंतुष्ट नेता उनके संपर्क में हैं। यानी जल्द ही नया पॉलिटिकल कॉकटेल तैयार हो सकता है।
राजनीति का नया अध्याय
KCR का यह फैसला एक सख्त संदेश है — “पार्टी पहले, परिवार बाद में!”
लेकिन इसका राजनीतिक असर कितना गहरा होगा, ये आने वाला चुनाव बताएगा। फिलहाल तो जनता के लिए ये मुद्दा बन गया है न्यूज़ और मिम्स दोनों का फुल डोज़!
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