“अब डोज़ियर नहीं, जवाब मिलेगा गोलों से!” | कारगिल विजय दिवस 2025

अजमल शाह
अजमल शाह

भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में जेपी नड्डा ने जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए न सिर्फ इतिहास दोहराया, बल्कि सुरक्षा नीति की नई ‘सैन्य डिक्शनरी’ भी सुना दी।

उन्होंने कहा कि कारगिल की लड़ाई में भारत ने नीचे से ऊपर चढ़कर जीत दर्ज की। और ये आसान नहीं था — ऊपर बैठे पाकिस्तानी सेना के मुकाबले नीचे से चढ़ना, जैसे सरकारी फ़ाइल से जवाब निकलवाना!

“डोज़ियर चाय नहीं, अब गोला है स्टैंडर्ड रिस्पॉन्स”

नड्डा जी ने कूटनीतिक चायपान युग को फुल स्टॉप दे दिया। बोले:

“26/11 के बाद डोज़ियर देने वाले थे। अब वही डोज़ियर उठाकर दुश्मन के लॉन्चिंग पैड पर फेंक देते हैं – साथ में गोला भी।”

पुलवामा के बाद हुई कार्रवाई, और उरी के बाद ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा:

“हम घर में घुसकर मारते हैं, और ये हमारा नया नॉर्मल है!”

“नीति निर्धारक अब ‘ठहरो’ नहीं, ‘ठोक दो’ कहते हैं”

पुराने सिस्टम का ज़िक्र करते हुए नड्डा बोले:

“पहले जब गोली चलती थी, पुंछ से नगरोटा, नगरोटा से चंडीमंदिर, और फिर दिल्ली – सब पूछते थे, ‘अब गोली चला सकते हैं?’ अब कोई नहीं पूछता, अब तो गोली चलती है और जवाब खुद देता है!”

उनका तंज साफ़ था – अब देश की नीति ‘बुलेट-टू-बुलेट’ है, न कि ‘पेपर टू-फाइल’

“गोला ही नहीं, सड़कें भी चल रहीं”

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि:

  • 10 सालों में 8000 किमी बॉर्डर सड़कें बनीं

  • 400+ डबल लेन ब्रिज तैयार

“अब सिर्फ जवान ही नहीं, सड़कें भी कह रही हैं – चलो, टैंक चलाओ!”

ऑपरेशन सिंदूर…अभी बाकी है!

जेपी नड्डा ने अपने भाषण को एक फिल्मी क्लाइमैक्स की तरह खत्म करते हुए कहा:

“ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। जो छेड़ेगा, वो छोड़ा नहीं जाएगा!”

लगता है, अब “रक्षात्मक” सिर्फ शब्दकोश में ही मिलेगा।

PCOD में दूध छोड़ोगी या दिमाग? सच्चाई जानो, डर नहीं!

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