
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में शुक्रवार की सुबह खेल से ज्यादा भागदौड़ कुत्तों की रही।
सिर्फ 30 मिनट में 3 अलग-अलग जगहों पर कुत्तों ने विदेशी कोचों और एक सिक्योरिटी गार्ड पर हमला कर दिया।
अब इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में रेस के ट्रैक पर एथलीट नहीं, आवारा कुत्ते दौड़ते दिख रहे हैं।
जापानी कोच की टांग पर वार, केन्या के कोच को भी नहीं छोड़ा
सुबह 9:18 बजे, जापान की फेंसिंग कोच मेइको ओकुमात्सु अपनी खिलाड़ी की वार्मअप देख रही थीं, तभी एक कुत्ते ने उनकी टांग में काट लिया।
9:42 पर, केन्या के स्प्रिंट कोच डेनिस म्वांजो को भी ऐसे ही हमले का सामना करना पड़ा। थोड़ी ही देर में स्टेडियम गेट पर तैनात एक सिक्योरिटी गार्ड भी घायल हो गया।
यानी इस बार इंडिया ने विदेशी खिलाड़ियों को “अतिथि देवो भवः” की जगह “कुत्ता देवो भवः” से स्वागत किया!
अब तक 5 बार हमला, LOC को फिर भी नींद नहीं टूटी?
सूत्रों के मुताबिक़, चैंपियनशिप शुरू होने के बाद से अब तक 5 बार कुत्ते स्टेडियम में घुस चुके हैं और हमला कर चुके हैं। पहले वॉलंटियर्स और सिक्योरिटी कर्मी घायल हुए थे, लेकिन तब “मामला दबा दिया गया” था। अब जब विदेशी मेहमानों पर हमला हुआ है, तो LOC हरकत में आई है।
लगता है LOC के लिए “बाइट” सिर्फ डेटा का हिस्सा था, अब असली “बाइट” महसूस हुआ!
आयोजन समिति का बेशर्म बचाव
LOC ने बयान जारी कर कहा कि “कुत्ते स्टेडियम के अंदर इसलिए आए क्योंकि लोग उन्हें बाहर खाना खिला रहे थे।” MCD ने पहले ही डॉग-कैचिंग करवाई थी, पर कुछ कुत्ते “चुपके से” घुस आए।
अब सवाल ये — “क्या ये पैरा एथलेटिक्स है या ‘कुत्ता छुपा, स्टेडियम में घुसा’ रियलिटी शो?”
रेबीज का डर और भारत की असलियत
2024 में भारत में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट केस दर्ज हुए, यानी हर दिन 10,000+ मामले। WHO के मुताबिक, 2022 में 305 मौतें रेबीज से हुईं। लेकिन हम अब भी कुत्तों को “मासूम बिचारे” बोलकर डिफेंड करने में लगे हैं।
जब कुत्तों को “गोलगप्पे” और खिलाड़ियों को “एंटी-रेबीज इंजेक्शन” खिलाना पड़े, तो देश को सोचने की ज़रूरत है।
कुत्ते स्टेडियम में कैसे पहुंचे?
जब LOC ने कहा कि डॉग कैचिंग की गाड़ियाँ मौजूद थीं, तब फिर सवाल उठता है:

क्या कुत्ते VIP गेट से एंट्री कर रहे थे?
क्या उनके पास भी Accreditation Card था?
या वो भी VVIP लिस्ट में शामिल थे?
कहीं ऐसा तो नहीं कि कुत्ते भी अब स्पॉन्सर बन गए हैं — “Powered by Pedigree & Panic!”
अब क्या किया जा रहा है?
सुरक्षा बढ़ा दी गई है
डॉग स्क्वॉड को फिर एक्टिव किया गया है
घायलों को मेडिकल सहायता के बाद सफदरजंग हॉस्पिटल भेजा गया — फिलहाल सभी स्थिर हालत में हैं।
खेल भावना बनाम कुत्तों की स्वतंत्रता
देश की राजधानी में चल रही एक अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में अगर कोच डॉग बाइट के डर से ट्रैक छोड़ रहे हैं, तो यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, राष्ट्रीय शर्म की बात है।
अगली बार खिलाड़ियों के साथ-साथ डॉग रिपेलेंट भी भेजिए, क्योंकि अब स्टेडियम में खेल नहीं, “कुत्तों की एंट्री फ्री” है।
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