
श्रीहरिकोटा का आसमान आज फिर चमकने वाला है! ISRO शाम 5:26 बजे अपने सबसे दमदार रॉकेट LVM3-M5 से CMS-03 Communication Satellite (GSAT-7R) लॉन्च करने जा रहा है। यह सिर्फ़ एक लॉन्च नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष इतिहास का Next Heavy Chapter है। वैज्ञानिकों ने इसे प्यार से नाम दिया है — “बाहुबली रॉकेट”, और कारण भी साफ़ है — “जहाँ बाक़ी रॉकेट ‘बोर्डिंग पास’ लेते हैं, वहाँ ये सैटेलाइट को कंधे पर बिठा कर अंतरिक्ष तक ले जाता है!”
क्यों खास है CMS-03 (GSAT-7R)?
CMS-03 कोई मामूली सैटेलाइट नहीं — ये 4410 किलो वज़नी मल्टी-बैंड कम्युनिकेशन पॉवरहाउस है, जो अगले 15 साल तक भारत की नौसेना की आँख और कान बनेगा।
यह C, Extended-C और Ku Band Transponders से लैस है। मतलब: अब हिंद महासागर में नौसेना चाहे GPS खोजे या गोपनीय बातचीत करे — सब कुछ होगा Super Secure और Super Clear।
Navy बोले — ‘अब कनेक्शन कटेगा नहीं, बस दुश्मन की साँस कटेगी!’
इस सैटेलाइट से भारतीय नौसेना की कम्युनिकेशन क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। जहाँ पहले सिग्नल कमजोर पड़ते थे, अब वहां तक ISRO का नेटवर्क पहुँचेगा।
अब जहाज से Wi-Fi पासवर्ड नहीं माँगेंगे, सीधा सैटेलाइट से कनेक्ट होंगे!”
LVM3-M5: चंद्रयान वाला हीरो, अब कम्युनिकेशन का किंग
जिस रॉकेट ने चंद्रयान-3 को चाँद तक पहुंचाया, वही आज CMS-03 को लॉन्च करेगा। इसमें हैं तीन पावर स्टेज — दो Solid Strap-on Boosters (S200) एक Liquid Core Stage (L110) और Cryogenic Upper Stage (C25) मतलब: ये सिर्फ़ रॉकेट नहीं, तीन मंज़िला ऊर्जा का मंदिर है।

ISRO Scientists बोले — “हम लॉन्च नहीं करते, इतिहास बनाते हैं!”
मिशन रीडिनेस रिव्यू और लॉन्च बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है। ISRO के ऑफिस में चाय कम, कॉफी ज़्यादा और टेंशन बिलकुल नहीं।
जनता बोले — “ISRO ही वो जगह है जहाँ काम भी होता है और ट्रेंड भी!”
जहाँ बाकी विभाग बयान लॉन्च करते हैं, ISRO रॉकेट लॉन्च करता है। आज पूरा देश बोलेगा — “जय विज्ञान! जय ISRO!”
CMS-03 सिर्फ़ सैटेलाइट नहीं — यह भारत की टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। अगर सब सही रहा, तो आज शाम भारत फिर कहेगा — “हम भी स्पेस वाले हैं, जनाब!”
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