ईरान पर इजरायल का हमला, न्यूक्लियर ठिकानों पर एयरस्ट्राइक

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

इजरायल ने ईरान पर जोरदार हमले शुरू कर दिए, जो केवल सैन्य नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से बेहद अहम थे। इन हमलों का सीधा निशाना ईरान के परमाणु कार्यक्रम और न्यूक्लियर ठिकाने थे। इजरायल ने दावा किया है कि ईरान ने इतनी मात्रा में यूरेनियम जमा कर लिया है कि वह 15 परमाणु बम तैयार कर सकता है।

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इजरायल बोला- अब वार्ता नहीं, ऐक्शन का समय

इजरायली सेना ने हमले के बाद आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि दशकों से कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे नहीं हटा। अब हालात ऐसे बन चुके थे कि हमला ही एकमात्र विकल्प था। प्रधानमंत्री नेतन्याहू की अगुआई वाली सरकार ने बताया कि इस मिशन की तैयारी वर्षों से की जा रही थी।

ईरानी टॉप कमांडर्स और वैज्ञानिक मारे गए

सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में ईरान की एलीट फोर्स ‘इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स’ (IRGC) के कमांडर हुसैन सलामी मारे गए हैं। वहीं, सेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी के भी मारे जाने की खबर है। इजरायली वायुसेना के हमलों में कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की पुष्टि भी हो रही है।

तेहरान, नातान्ज और कई न्यूक्लियर साइट्स पर बमबारी

इजरायली एयरफोर्स ने हमले की शुरुआत सुबह 3 बजे की। सबसे ज्यादा बमबारी तेहरान और नातान्ज में हुई, जहां ईरान यूरेनियम संवर्धन कर रहा था। नातान्ज को ईरान की सबसे महत्वपूर्ण परमाणु साइट माना जाता है। यहां हुए धमाकों से पूरा इलाका दहल उठा।

इमरजेंसी लागू, दोनों देशों ने एयरस्पेस बंद किया

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इजरायल और ईरान दोनों ने अपने-अपने एयरस्पेस को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इजरायल ने देशभर में अलर्ट जारी करते हुए नागरिकों को सतर्क रहने और गैरजरूरी आवाजाही से बचने की अपील की है। वहीं, नेतन्याहू ने कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है।

लंबी जंग की चेतावनी, ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ हुआ एक्टिवेट

इस अभियान को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ नाम दिया गया है, जिसकी योजना इजरायल ने वर्षों पहले बनाई थी। इजरायल को आशंका है कि ईरान अब जवाबी कार्रवाई करेगा, और यह संघर्ष लंबा खिंच सकता है। सेना ने कहा कि हम हर स्थिति के लिए तैयार हैं।

क्या है वैश्विक प्रभाव?

ईरान का परमाणु शक्ति बनना सिर्फ इजरायल के लिए नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी चिंता का विषय है। अमेरिका लंबे समय से ईरान को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब हालात नियंत्रण से बाहर होते दिख रहे हैं। यदि ईरान हथियार बना लेता, तो वह इस्लामिक दुनिया का नेतृत्व कर सकता था।

इजरायल और ईरान के बीच यह संघर्ष सिर्फ दो देशों का युद्ध नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। जहां एक तरफ कूटनीति विफल हुई है, वहीं दूसरी तरफ सैन्य समाधान ने एक नए संकट को जन्म दे दिया है। आने वाले दिन बेहद संवेदनशील हो सकते हैं।

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