“आधे नहीं, सब चाहिए!” इसराइल को नहीं मंजूर हमास की ‘आंशिक डील’

Ajay Gupta
Ajay Gupta

ग़ज़ा युद्ध में नया मोड़ तब आया जब हमास ने 60 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, लेकिन इसराइल ने उसे स्पष्ट तौर पर अस्वीकार किए बिना ही उस पर संदेह जताया है। मुख्य आपत्ति – बंधकों की पूरी रिहाई न होना।

प्रस्ताव क्या है?

कतर और मिस्र द्वारा मध्यस्थता किए गए इस प्रस्ताव के तहत:

  • 10 जीवित बंधक + 18 मृतकों के शव सौंपे जाएंगे

  • इसके बाद स्थायी युद्धविराम और बाकी बंधकों पर बातचीत होगी

कतर का कहना है कि यह वही प्रस्ताव है जिसे पहले इसराइल-अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था।

लेकिन इसराइल को क्या दिक्कत है?

इसराइल सरकार के प्रवक्ता डेविड मेन्सर ने कहा:

“हम आंशिक समझौतों में यकीन नहीं करते। अब प्रधानमंत्री ने ग़ज़ा के भविष्य के लिए नई योजना बनाई है।”

यानी अब इसराइल चाहता है:

  • सभी 50 बंधकों की एकसाथ रिहाई

  • ग़ज़ा में हमास के शासन का अंत

  • दीर्घकालिक सुरक्षा ढांचा

कितने बंधक ज़िंदा हैं?

इसराइल का मानना है कि:

  • युद्ध के दौरान लिए गए 50 बंधकों में से केवल 20 ही ज़िंदा हैं

  • बाकी की मौत या ग़ायब होने की आशंका है

हमास इस बारे में अधिक स्पष्ट जानकारी देने से बच रहा है।

हमास क्यों सहमत हुआ युद्धविराम पर?

  • लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव

  • ग़ज़ा में बढ़ता मानवीय संकट

  • हजारों नागरिकों की मौत और बर्बादी

यह डील एक मानवीय राहत के रूप में देखी जा रही थी, लेकिन अब इसराइल की सख्ती के चलते यह संदेह के घेरे में आ गई है।

शांति का रास्ता या फिर एक और टकराव?

एक ओर कूटनीति की कोशिशें हैं, दूसरी ओर इसराइल का सख्त रुख। क्या यह नया प्रस्ताव एक स्थायी समाधान ला सकेगा या फिर यह भी ‘नो डील ज़ोन’ में चला जाएगा?

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