
यास्मीन एतेमाद अमीनी ईरान के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी की बहू और पूर्व क्राउन प्रिंस रजा पहलवी की पत्नी हैं। उनका विवाह 1986 में हुआ और वह अमेरिका में पली-बढ़ीं। यास्मीन ने वॉशिंगटन डीसी की जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक और कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। एक पेशेवर वकील के रूप में उन्होंने खासतौर पर बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया।
ईरान-पाकिस्तान की गुप्त बात: इसराइल पर खुला मोर्चा?
‘फाउंडेशन फॉर द चिल्ड्रन ऑफ ईरान’: एक मानवीय पहल
यास्मीन ने एक संगठन की स्थापना की—Foundation for the Children of Iran—जिसका उद्देश्य है ऐसे ईरानी बच्चों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराना जो राजनीतिक या धार्मिक कारणों से स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। यह संस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही चुपचाप काम करती हो, लेकिन इसके ज़रिए यास्मीन ने ईरानी अवाम के बीच अपने सामाजिक सरोकार की गहरी छाप छोड़ी।
लोकतंत्र की मुहिम: ताज से तख्त तक संघर्ष
यास्मीन अमीनी सिर्फ एक पूर्व शाही परिवार की सदस्य नहीं, बल्कि एक एक्टिविस्ट भी हैं जो सालों से ईरानी इस्लामिक शासन के खिलाफ लोकतांत्रिक बदलाव की मांग कर रही हैं। वह कई अंतरराष्ट्रीय मंचों, सम्मेलनों और डेमोक्रेसी पैनल्स में हिस्सा लेकर लगातार ईरान में लोकतंत्र, महिला अधिकार और बाल सुरक्षा पर ज़ोर दे रही हैं।
मौजूदा संघर्ष के बीच यास्मीन की प्रासंगिकता
जब ईरान और इजरायल के बीच जंग का माहौल बना हुआ है और तेहरान का तख्त हिलता दिख रहा है, ऐसे में यास्मीन अमीनी फिर से सुर्खियों में हैं। उनका नाम सत्ता परिवर्तन की संभावनाओं के बीच एक उम्मीद की तरह देखा जा रहा है। वह महिलाओं के लिए हिजाब-विरोधी आंदोलनों से लेकर लोकतांत्रिक व्यवस्था की पैरवी तक एक प्रमुख चेहरा बन चुकी हैं।
जब खुमैनी को दी थी चुनौती
यास्मीन का यह सफर कोई नया नहीं है। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद शाह के परिवार को सत्ता से बेदखल किया गया था, और खुमैनी शासन ने इस परिवार को पूरी तरह मिटाने की कोशिश की। लेकिन यास्मीन और उनके पति ने निर्वासन में रहते हुए एक वैकल्पिक सोच विकसित की—एक लोकतांत्रिक ईरान की सोच।
ताज से ताकत तक का सफर
यास्मीन एतेमाद अमीनी एक ऐसे समय में शाही इतिहास से निकली आवाज़ हैं, जो अब लोकतंत्र की मांग में तब्दील हो चुकी है। वह आधुनिक ईरान की राजनीति में वो चेहरा बनती जा रही हैं जो सिर्फ विरोध नहीं करती, बल्कि भविष्य की रचना में सक्रिय रूप से हिस्सा भी लेती हैं।