
ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन (जो नाम के साथ-साथ नीतियों में भी पेचीदा लगते हैं) दो दिन की राजकीय यात्रा पर पाकिस्तान रवाना हुए। कहा जा रहा है कि उन्हें शहबाज़ शरीफ़ का निमंत्रण इतना पसंद आया कि उन्होंने टूर पैकिंग में भी देर नहीं की।
उनके तेहरान से रवाना होते वक्त दिए बयान ने राजनयिक गलियारों में हलचल मचा दी – “पाकिस्तान ने इसराइल के खिलाफ हमारे संघर्ष में न सिर्फ बयानबाज़ी की, बल्कि भावनात्मक सहयोग का टॉपअप भी दिया।”
जब पाकिस्तान बना ‘डिप्लोमेटिक दोस्त No.1’
इसराइल के साथ 12 दिन के इस ‘गर्म झगड़े’ में पाकिस्तान ने जैसे ही इजराइल की निंदा की, ईरान ने तुरंत दिल से लगा लिया। “हम तुम्हारे हैं” टाइप संदेश के बाद पेज़ेश्कियन का यह दौरा कूटनीतिक गलियों में मानो ‘दोस्ती का काफ़िला’ बन गया है।
पाकिस्तान की छुपी हुई भूमिका – डिप्लोमेटिक माचिस या शांति दूत?
राजनयिक सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान अब अमेरिका और ईरान के बीच ‘सीक्रेट चपरासी’ की भूमिका निभा रहा है – यानी चुपचाप संवाद को आसान बनाना।
इसका मतलब है कि पाकिस्तान अब सिर्फ क्रिकेट मैचों या IMF से उधारी में ही नहीं, बल्कि कूटनीति में भी तीसरे खिलाड़ी की भूमिका में उभर रहा है।
डिप्लोमेसी का सीरियल चालू है – अगला एपिसोड जल्द!
यह दौरा जितना आधिकारिक है, उतना ही ‘भावनात्मक भी’। इसमें कूटनीतिक बयान, इज़राइल की निंदा, संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस और शायद कुछ “हम एक हैं” वाले डायलॉग्स भी सुनने को मिलेंगे। बस देखना ये है कि इस मुलाकात से मध्य-पूर्व का डिप्लोमैटिक मौसम कितना बदलता है।
जब ईरान और पाकिस्तान मिलते हैं, तो केवल सीमा नहीं, बयान भी गरम होते हैं। ये यात्रा सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि ज़ुबानी जमा-खर्च का ‘लाइव टेलीकास्ट’ भी है।
गिल आउट, आकाशदीप इन: ओवल में उल्टा चल रहा है क्रिकेट का गणित!