क़ानून के मंदिर में बारूद की पूजा! – ईरान की अदालत पर आतंकी कहर

Ajay Gupta
Ajay Gupta

ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की एक अदालत उस वक्त मौत का मैदान बन गई, जब वहां अचानक से आतंक की गूंज सुनाई दी। जैश अल-जुल्म के आतंकी बंदूकें और ग्रेनेड लेकर कोर्ट परिसर में घुस आए और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। अदालतें तो इंसाफ का ठिकाना होती हैं, लेकिन यहां तो इंसान ही खत्म हो गए।

ग्रेनेड से धमाका – बच्चे भी नहीं बचे!

हमले में कम से कम 8 लोगों की मौत हुई, जिनमें कुछ मासूम बच्चे भी शामिल हैं। 13 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जिंदगी से लड़ाई लड़ रहे हैं। आतंकवादियों ने जैसे ही कोर्ट में कदम रखा, वैसे ही बुलेट से इंसाफ की किताबें छलनी हो गईं।

जैश अल-जुल्म का दावा – ‘हम ही हैं जिम्मेदार’

इस हमले की जिम्मेदारी जैश अल-जुल्म ने ली है। ईरान सरकार ने पहले ही इस संगठन को आतंकवादी करार दे रखा है, लेकिन लगता है वो अब “फुल एक्शन मोड” में आ चुका है। उनका मकसद क्या था? शायद अदालत में लंबित केसों का ‘फास्ट ट्रैक निपटारा’ करना!

IRGC ने लिए मोर्चा – तीन आतंकी ढेर

ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कोर (IRGC) ने तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादियों को मार गिराया। बयान में कहा गया है कि स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है। यानी कोर्ट तो साफ हो गई, पर इंसाफ की स्याही अब खून से लिखी जाएगी।

क्या कहता है यह हमला? – सियासत और सुरक्षा पर सवाल

यह हमला न केवल ईरान की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब आतंकी संगठन न्यायालयों को भी निशाना बनाने से पीछे नहीं हट रहे। सवाल यह भी है: क्या वकील भी अब बुलेटप्रूफ जैकेट में अदालत आएंगे?

ईरान में हुआ यह हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक डरावना ट्रेलर है उस सच्चाई का, जिसमें आम नागरिक, बच्चे और इंसाफ के कंधे सभी लहूलुहान हैं। अब यह देखना बाकी है कि क्या अगली अदालत की तारीख में आतंकवाद को सज़ा मिलती है या वो अगली कोर्ट पर तारीख लगाता है।

“तेजस्वी जी! हार के डर से न भागीं, ई चुनाव ह, क्रिकेट नइखे!”

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