
भारत सरकार का ‘ऑपरेशन सिंधु’ इन दिनों संकट के समय कूटनीतिक सूझबूझ और मानवीय संवेदना का प्रतीक बन गया है। शनिवार, 21 जून को ईरान से 310 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित लेकर एक विमान दिल्ली पहुंचा। इससे पहले भी भारत सरकार 517 भारतीयों को संकटग्रस्त ईरान से निकाल चुकी है।
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विदेश मंत्रालय की पुष्टि
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ पर जानकारी देते हुए बताया:
“ईरान से 310 भारतीयों को लेकर एक विमान 21 जून को दिल्ली पहुंचा. इसके साथ ही अब तक 827 भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकाला गया है।”
यह राहत भरा कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ईरान और इज़रायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और जमीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं।
लौटे भारतीयों की आपबीती
सुरक्षित लौटने वाले कई भारतीयों ने अपनी आपबीती साझा की:
नदीम अगर ने भावुक होते हुए कहा,
“मैं अपने वतन-ए-अज़ीज़ हिंदुस्तान का शुक्रगुज़ार हूं, जिसने हमें इन हालात में भी सुरक्षित रखा।”
रियाज़ुल हसन ने बताया कि,
“हमें होटल की खिड़की से मिसाइलें गिरती दिखती थीं। एयर डिफेंस मिसाइलों को हवा में रोक रहा था।”
फ़रज़ाना आब्दी ने राहत की सांस लेते हुए कहा,
“वहां बहुत लड़ाई चल रही थी। भारतीय दूतावास ने हमारी बहुत मदद की।”
छात्रों की सुरक्षित वापसी भी जारी
इससे पहले, दो दिन पहले 110 भारतीय छात्रों को विशेष उड़ान के जरिए आर्मीनिया से दिल्ली लाया गया था। इन छात्रों को पहले ईरान से सुरक्षित निकालकर आर्मीनिया ले जाया गया, फिर वहां से उन्हें विशेष विमान से भारत लाया गया।
इज़रायल में फंसे भारतीय कामगारों के परिजनों की गुहार
जहां एक ओर ईरान से लोगों की सुरक्षित वापसी जारी है, वहीं दूसरी ओर इज़रायल में काम कर रहे भारतीयों के परिजन सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनके प्रियजनों को भी शीघ्रता से भारत लाया जाए।
ऑपरेशन सिंधु बना कूटनीति और संवेदना का प्रतीक
भारत का ‘ऑपरेशन सिंधु’ न सिर्फ राहत कार्य है, बल्कि एक संदेश भी है — जहाँ भी संकट होगा, भारत अपने नागरिकों के साथ खड़ा होगा। विदेश मंत्रालय और दूतावासों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने यह एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय पासपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक भरोसा है।
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