
हर पांच बरिस पर नेताजी लोग गांव के पगडंडी नापे लागेलें, पर इ बार जनता भी सवाल लेके खड़ी बा – “अबकी बार हमनी के जिनगी सुधरी कि फेरु उहे वादा-बाजी?”
आरजेडी के बदलल रूप: लालू के पार्टी से तेजस्वी के सपना
तेजस्वी यादव अब केवल यादव-मुस्लिम वोट बैंक के नेता ना रह गइलें। उ बेरोजगारन से लेके पढ़े वाली लड़िकियन, खेतीहर किसान से लेके पलायन से परेशान जवान तक सबके मन के बात करत बाड़न। “10 लाख रोजगार” वाला नारा अब गांव में सिरिफ पोस्टर पर ना, बलुक चाय दुकान पर चर्चा के मुद्दा बन गइल बा।
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भाजपा के माथा में बल: संगठन भसिया गइल का?
मोदी जी के नाम अबहियों भी चमक रहल बा, बाकिर बिहार में भाजपा के पास कोई एहन चेहरा नइखे जे गांव के पसीना में भींग के वोट मांगे। नीतीश के गठबंधन आ पाला बदलला से जनता अब confused बा। आ ऊपर से अग्निपथ योजना से नाराज़ जवान लोग BJP से दूरी बनावत देखात बा।
गांव-गंवई के रउरा केतना बुझत बानी?
अब गांव के मेहरारू लोग स्कूल, अस्पताल आ महंगाई के मुद्दा पर बहस करे लागल बाड़ी। पहिलहीं चुप्पा वोटर कहल जाए वाली महिलाएं अब खुल के बोलत बाड़ी। ई सब तेजस्वी के नवा रणनीति के फायदा दे सकेला।
महागठबंधन के वापसी: खेला होई?
कांग्रेस, CPI आ छोट छोट दल सब आरजेडी के साथ फिर से महागठबंधन के आकार दे रहल बाड़ें। 2024 लोकसभा चुनाव में जे पॉजिटिव रिजल्ट मिलल, उ विपक्षी दलन के नवा ऊर्जा देले बा। अगर दलित, पिछड़ा आ महिलन के वोट जुड़ गइल, त भाजपा के खेचड़ी बिगड़ सकत बा।
भाजपा के अंदरुनी खींचतान
जिनका के मैदान में उतारे के चाहीं, उहें किनारे बइठल बाड़ें। RSS आ जमीनी कार्यकर्ता भी अब दूरी बनावत देखात बाड़ें। मतलब ई बा कि चुनावी मशीनरी चाहे जितना तेज होखे, बिना “माटी वाला नेता” के जमीनी वोट नइखे मिलत।
बिहार के जनता: इ बार मुद्दा पर वोट दी?
बिहार हमेशा बदलाव के साथे रहल बा – कबो लालू के रूप में, कबो नीतीश के सुधार वाला दौर में। ई बार जनता जाति के चश्मा उतार के बेरोजगारी, शिक्षा आ सुरक्षा पर बात करत बा। अगर आरजेडी ई लहर पकड़ लेतिया, त BJP के दिक्कत त निश्चित बा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब सिरिफ कुर्सी के खेल नइखे। ई बार जनता “कहवा से आवत हवास, खाली सपना बेच के जात हवास?” पूछे लागल बा। अगर आरजेडी अपन बदले छवि आ मुद्दा आधारित रणनीति के सही से खेले, त भाजपा के मोदी मैजिक भी फीका पड़ सकत बा।
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