तालिबान का नया शाही फरमान: चेस खेला तो गुनहगार समझे जाओगे!

अजमल शाह
अजमल शाह

तालिबान है, साहब! वहाँ अगर सुबह उठकर सूरज को देख लिया तो नियम बदल सकता है। अबकी बार उन्होंने राजा, वज़ीर, ऊंट, घोड़ा और प्यादों की फौज पर ही वार कर दिया है — यानी शतरंज (चेस) पर ही बैन लगा दिया गया है!

रॉल्स रॉयस और बेंटले कारें अब भारत में मिलेंगी आधी कीमत पर, जानें पूरा डील

रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि उन्हें शक है कि लोग चेस को जुए के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
हद है! जहाँ दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चेस बॉट्स पर रिसर्च कर रही है, वहां तालिबान चेस को “शरीयत के खिलाफ” बताकर इंटेलिजेंस को ही बैन कर रहा है।

तालिबान के लॉजिक का चेकमेट

तालिबान के खेल निदेशालय के प्रवक्ता अटल मशवानी ने कहा,

“शरिया में चेस को जुए का साधन माना गया है।”

अब भाईसाहब, चेस तो दिमागी कसरत का खेल है, लेकिन तालिबान के लिए शायद हर सोचने-समझने वाली चीज गुनाह है। औरतें खेलें तो गुनाह। मर्द सोचें तो खतरा। प्यादा भी दो कदम चले तो शरीयत खतरे में पड़ जाती है!

अफगान महिलाओं के लिए तो हर गेम “Game Over” है

तालिबान के राज में महिला होना वैसे ही एक permanent red card जैसा है। कोई खेल नहीं, कोई मैदान नहीं, और अब तो शायद लूडो में भी चार रंगों में से पिंक को हटा दें! मज़ाक नहीं, महिलाओं के लिए हर खेल बैन है, चाहे वो इनडोर हो या आउटडोर।

MMA भी गया, अब चेस भी गया… अगला निशाना क्या?

पिछले साल तालिबान ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) को भी बैन कर दिया था क्योंकि वो “बहुत हिंसक” था। अब शतरंज भी “बहुत चालबाज़” हो गया। तो अब सवाल उठता है — अगला नंबर किसका? कैरम, सांप-सीढ़ी या सुडोकू का?

सोच मत वरना बैन हो जाएगा!

तालिबान के राज में आपको सांस भी शरीयत देखकर लेनी है। दिमागी खेल मत खेलो, वरना सरकार चेकमेट कर देगी। राजा-रानी अब सिर्फ किताबों में रहेंगे, बोर्ड पर नहीं।

शतरंज बैन होना कोई मज़ाक नहीं, पर तालिबान का लॉजिक इतना मज़ाकिया है कि गंभीर खबर भी चुटीली बन जाती है।

आतंक के खिलाफ भारत की आकाशीय कार्रवाई और पाकिस्तान की बौखलाहट

Related posts